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मोदी कैबिनेट ने समुद्री मिशन को दी मंजूरी

लाखों लोगों को मिलेगा रोजगार!

नई दिल्ली/दि. 16 – तीन ओर से समंदर से घिरे हमारे देश में समुद्र आधारित ब्लू इकोनॉमी (Blue Economy) को लेकर बड़ी खबर है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ‘गहरे समुद्र मिशन’ को मंजूरी दे दी है. इससे समुद्री संसाधनों की खोज और समुद्री टेक्नोलॉजी के विकास में मदद मिलेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता की हुई आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह जानकारी दी है. बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया को बताया कि धरती का 70 फीसदी हिस्सा समुद्र है, जिसके बारे में अभी बहुत अध्ययन नहीं हुआ है. गहरे समुद्र के तले एक अलग ही दुनिया है. CCEA ने ‘गहरे समुद्र संबंधी मिशन’ को मंजूरी प्रदान कर दी है. अब इसके जरिये एक तरफ ब्लू इकोनॉमी को मजबूती मिलेगी तो दूसरी ओर समुद्री संसाधनों की खोज और समुद्री तकनीक के विकास में मदद मिलेगी.

  • क्या होती है ब्लू इकोनॉमी?

भारत के कुल व्यापार का 90 फीसदी हिस्सा समुद्री मार्ग के जरिए होता है. समुद्री रास्तों, नए बंदरगाहों और समुद्री सामरिक नीति के जरिये अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना ही ब्लू इकोनॉमी कहलाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्पष्ट कर चुके हैं कि केंद्र सरकार ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देना चाहती है. भारत तीन ओर से सुमुद्र से घिरा हुआ है. ऐसे में ब्लू इकोनॉमी पर फोकस बढ़ाकर देश की आर्थिक ग्रोथ को बढ़ाया जा सकता है.

  • कैसे काम करती है ब्लू इकोनॉमी?

इसमें सबसे पहले समुद्र आधारित बिजनेस मॉडल तैयार किया जाता है, साथ ही संसाधनों को ठीक से इस्तेमाल करने और समुद्री कचरे से निपटने के डायनामिक मॉडल पर कम किया जाता है. पर्यावरण फिलहाल दुनिया में एक बड़ा मुद्दा है ऐसे में ब्लू इकोनॉमी को अपनाना इस नज़रिये से भी बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है. ब्लू इकोनॉमी के तहत फोकस खनिज पदार्थों समेत समुद्री उत्पादों पर होता है. समुद्र के जरिये व्यापार का सामान भेजना ट्रकों, ट्रेन या अन्य साधनों के मुकाबले पर्यावरण की दृष्टि से बेहद साफ-सुथरा साबित होता है.

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