मोदी सरकार ने ३० लाख भूतपूर्व सैनिकों को किया निराश
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने साधा निशाना
नई दिल्ली/दि.७– कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. इस बार सुरजेवाला ने वन रैंक, वन पेंशन के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर हमला बोला है. वहीं बिहार चुनाव को लेकर सुरजेवाला ने कहा कि बिहार की जनता ने बदलाव के लिए वोट दिया है.
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, वन रैंक, वन पेंशन पर मोदी सरकार की धोखेबाजी फिर उजागर हो गई है. मनमाने ढंग से ‘वन रैंक, वन पेंशन’ को कमजोर कर मोदी सरकार ने 30 लाख भूतपूर्व सैनिकों को निराश किया है. फिर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्री अमित शाह ने देश को बरगलाने और बहकाने का झूठा प्रयास किया. कपटी मोदी सरकार का देश में आंख में धूल झोंकने का यह षडयंत्रकारी प्रयास कभी कामयाब नहीं होगा.
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, सच्चाई यह है कि मोदी सरकार ने आज तक भी वन रैंक, वन पेंशन लागू नहीं की. कांग्रेस-यूपीए सरकार के जरिए 26 फरवरी, 2014 का ‘वन रैंक, वन पेंशन’ देने वाला आदेश लागू नहीं किया. सुरजेवाला ने कहा कि 2004 से 2012 के बीच कांग्रेस सरकार ने तीन अवसरों पर भूतपूर्व सैनिकों की पेंशन में वृद्धि की, जिसके कारण 7000 करोड़ रुपये का कुल वित्तीय आउटफ्लो हुआ. इससे भूतपूर्व सैनिकों को फायदा हुआ और पेंशन का अंतर कम हुआ. 17 फरवरी 2014 को उस समय कांग्रेस के मंत्री पी चिदंबरम ने 1 अप्रैल 2014 से ‘वन रैंक, वन पेंशन’ स्वीकार करने की घोषणा की. सुरजेवाला ने बताया, 26 फरवरी 2014 को ‘वन रैंक, वन पेंशन’ का आदेश कांग्रेस-यूपीए सरकार के जरिए जारी कर दिया गया. कांग्रेस-यूपीए सरकार के जरिए दिए गए ‘वन रैंक वन पेंशन’ का मतलब साफ है कि सशस्त्र बलों में एक समान समय तक सेवा करने के बाद एक ही रैंक से रिटायर होने वाले सभी कर्मचारियों को एक समान पेंशन दी जाए, फिर चाहे उनकी रिटायरमेंट की तारीख अलग-अलग क्यों न हो और भविष्य में पेंशन में की जाने वाली कोई भी वृद्धि का लाभ स्वत: ही पुराने पेंशनग्राहियों को भी मिले. इसलिए वन रैंक, वन पेंशन में बराबरी का सिद्धांत एकमत से स्वीकार कर लिया गया.
सुरजेवाला के मुताबिक, मोदी सरकार ने 07 नवंबर, 2015 को नया आदेश निकाल सेना के 30-40 प्रतिशत लोगों से ‘वन रैंक, वन पेंशन’ पूरी तरह से छीन ली. सेना के जवान और जेसीओ रैंक के अधिकांश लोग 30 साल की सेवा के बाद रिटायर हो जाते हैं. OROP का लाभ उनको नहीं मिलेगा. 07 नवंबर, 2015 के मोदी सरकार के नोटिफिकेशन की क्लॉज 4 के मुताबिक 20 साल के बाद स्वेच्छा से सेवा निवृत्ति लेने वाले लोगों को OROP का लाभ नहीं दिया जाएगा. सुरजेवाला ने आरोप लगाते हुए कहा, यही नहीं, मोदी सरकार द्वारा शर्त लगा दी गई कि हर 5 साल बाद पेंशन पर पुनर्विचार होगा. 30 लाख सैनिकों की मांग थी कि यह हर साल हो, ताकि 5 साल तक एक समान सेवा करने वाले, एक रैंक से रिटायर होने वाले सैनिकों की पेंशन अलग-अलग न हो. पर अब लगता है कि सरकार उस 5 साल की शर्त से भी मुकर गई है और इसे 10 साल करने की तैयारी में है. अगर 5 साल बाद पुनर्विचार होगा, तो ‘OROP’ फिर ‘वन रैंक, 5 पेंशन’ बन जाएगी. अगर 10 साल बाद पुनर्विचार होगा, तो ‘OROP’ फिर ‘वन रैंक, दस पेंशन’ बन जाएगी.
सुरजेवाला का कहना है, मोदी सरकार की 29 अक्टूबर, 2020 की प्रस्तावना, जिससे सैन्य अफसरों की ‘आधी पेंशन’ काटी जा रही है, तो पूरी तरह से ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के सिद्धांत को खत्म ही कर देगी. जब पेंशन ही आधी रह जाएगी, तो फिर OROP मिलेगी कैसे. 30 लाख सैनिकों से धोखा करने की बजाय मोदी सरकार को कांग्रेस-यूपीए सरकार का 26 फरवरी, 2014 का आदेश लागू करना चाहिए और 01 अप्रैल, 2014 से सेना में एक समान सेवा करने वाले और एक ही रैंक से रिटायर होने वाले सभी सैनिकों को एक समान पेंशन देनी चाहिए.