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अंगणवाडियों में 43 लाख से अधिक बच्चे मोटे

6 फीसद बच्चों के सर्वेक्षण से सामने आयी जानकारी

नई दिल्ली/दि.19– देश भर की अंगणवाडियों में 0 से 5 वर्ष आयु गुट के 43 लाख से अधिक बच्चे मोटे अथवा ज्यादा वजन वाले रहने की जानकारी एक सर्वेक्षण के जरिए सामने आयी. अंगणवाडी केंद्रों में पडने वाले कुल बच्चों में से करीब 6 फीसद बच्चों का सर्वेक्षण किए जाने के चलते यह जानकारी सामने आयी है. मोटे अथवा ज्यादा वजन रहने वाले बच्चों का प्रतिशत अंगणवाडी में पाए जाने वाले गंभीर व मध्यम कुपोषित बच्चों के बराबर ही रहने की जानकारी सरकारी ग्रामीण बालसंगोपन केंद्र से संकलित किए गए आंकडों के जरिए सामने आयी है.
0 से 5 वर्ष आयु गुट के 7 करोड 24 लाख 57 हजार 458 बच्चों में से करीब 6 फीसद यानि 43 लाख 47 हजार 387 बच्चों का वजन किए जाने पर वे मोटे और ज्यादा वजन वाले पाए गए. पोषण ट्रैकर एप के जरिए संकलित की गई जानकारी से यह तथ्य सामने आया है.
* तमिलनाडू व गोवा में कम मोटे बच्चे
इन दिनों छोटे बच्चों में बढता मोटापा चिंता की बात हो चला है. वर्ष 2015-16 के दौरान किए गए एनएफएचएस-4 की तुलना में वर्ष 2019-21 के दौरान हुए एनएफएचएस-5 में 5 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों में मोटापा महसूस होने लायक बढ गया है.
तमिलनाडू व गोवा इन दो राज्यों को छोडकर प्रत्येक राज्य में 5 वर्ष से कम आयु वाले मोटे बच्चों का प्रमाण बढ रहा है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण यानि नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) के जरिए यह बात सामने आयी है.
सन 2021 से शुरु किए गए पोषण ट्रैकर एप से पहले इसी सर्वे के जरिए ऐसी जानकारियों को संकलित किया जाता था.
एनएफएचएस-5 के दौरान मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू कश्मिर, सिक्कीम तथा त्रिपुरा में 5 वर्ष से आयु वाले बच्चों में सर्वाधिक मोटापा पाया गया था. वहीं मध्य प्रदेश, बिहार व आंध्र प्रदेश इन राज्यों में मोटे बच्चों का प्रमाण बेहद कम है.
* इन राज्यों में मोटापा अधिक
13 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में से महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड व पश्चिम बंगाल इन राज्यों में मोटापे का प्रमाण राष्ट्रीय औसत की तुलना में 6 फीसद से अधिक रहने की जानकारी सामने आयी है.
* वैश्विक स्तरपर चिंता की बात
वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन द्बारा किए गए वैश्विक अध्ययन में छोटे बच्चों में बढते मोपाटे को पूरी दुनिया के लिए चिंताजनक कहा गया है. जिससे भारत भी अछूता नहीं है. यदि इसकी ओर गंभीरतापूर्वक ध्यान नहीं दिया गया, तो देश में मोटापे यानि ओबेसिटी रेट का वार्षिक प्रमाण वर्ष 2035 तक 9.1 फीसद के आसपास पहुंच जाने की आशंका जताई जा रही है.

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