* अध्ययन में भयावह हकीकत सामने आई
नई दिल्ली/दि.14– अध्ययन में यह भयावह हकीकत सामने आई कि 1 जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2021 तक पूरे भारत में वयस्क कारागार में 9 हजार 600 से अधिक बच्चों को गलत तरीके से कैद किया गया. यह जानकारी सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआय) के तहत ‘भारत के कारागारों में बच्चों की कैद’ शीर्षक से एक अध्ययन के हिस्से के रूप में प्राप्त की गई थी. कानूनी अधिकार संगठन ‘आयप्रोबोनो’ द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार किशोर न्याय प्रणाली पर परिणाम करने वाले गंभीर मामलों पर प्रकाश डाला गया है.
देश के कम से कम 9 हजार 681 बच्चों को गलत तरीके से कैद किया गया. इसका मतलब औसतन 1 हजार 600 से अधिक बच्चे हर साल कारागार में कैद किए जाते है. बाल न्याय मंडल द्वारा (जेजेबी) पहचाने बए और वयस्क कारागार में भेजे गए बच्चों का संंदर्भ लेकर यह आंकडे घोषित किए गए है. उसमें देश के कुल 570 में से 285 जिला और मध्यवर्ति कारागारों ने आरटीआय द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर यह आंकडे तय किए गए है, ऐसा अध्ययन ने बताया है. देशभर में 749 कारागार ऐसे है, जहां से जानकारी मंगाई नहीं गई. इसमें उप कारागार, महिला कारागार, खुले कारागार, विशेष कारागार, बालसुधार गृह और अन्य कारागार का समावेश है. 9 हजार 681 में केवल सफलतापूर्वक पहचाने गए और हस्तांतरित हुए, जेल के अभ्यागतों ने, परिवारों ने अथवा स्वयं की पहचान कराए बच्चों का इसमें समावेश है.तथा कथित अपराध के समय जो नाबालिग थे, उन सभी का इसमें समावेश नहीं. मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, नागालैंड और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश जैसे अधिकांश राज्यों ने बाल कैदियों की जानकारी नहीं दी. जिन राज्यों ने जानकारी दी है, वहां के आंकडे चिंताजनक है, ऐसा अध्ययन में कहा गया है.
कारागारों की समीक्षा
* राज्य कारागार प्रतिसाद वयस्क जेल से बच्चों का स्थलांतर
उत्तर प्रदेश 71 प्रतिशत 2914
बिहार 34 प्रतिशत 1518
महाराष्ट्र 35 प्रतिशत 34
हरियाणा 90 प्रतिशत 1621
राजस्थान 51 प्रतिशत 108
छत्तीसगड 44 प्रतिशत 159
झारखंड 60 प्रतिशत 1115