900 से अधिक TV Channels की शिकायत के लिए बनेगी नई व्यवस्था
कंटेंट से आपत्ति होने पर एक्शन लेगी सरकार
नई दिल्ली/दि.१७ –टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम या विज्ञापन में कई बार हमें ऐसे आपत्तिजनक या भ्रम पैदा करने वाले कंटेंट दिखाए जाते हैं, जिनसे हमें शिकायत रहती है. कभी धार्मिक या ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़, तो कभी भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले कंटेंट प्रसारित किए जाते हैं, लेकिन इनको लेकर कार्रवाई होना थोड़ा मुश्किल सा लगता है. बहुत सारे लोगों को इसके बारे में पता भी नहीं होता.
हालांकि आईबीएफ यानी इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन (IBF) और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) जैसी कुछ नियामक संस्थाएं हैं, जिन्होंने आपत्तिजनक कंटेंट पर कार्रवाई करने के लिए व्यवस्था बना रखी है. ब्रॉडकास्ट कंटेंट कंप्लेन काउंसिल (BCCC) को आप शिकायत कर सकते हैं. हालांकि इस बारे में बहुत सारे लोगों को पता नहीं होता.
इनके अलावा सूचना और प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information and Broadcasting) के अधीन ही देश में तमाम चैनलों का प्रसारण होता है और मंत्रालय से भी इनकी शिकायत की जा सकती है. लेकिन दिक्कत वही है, जानकारी और जागरूकता का अभाव. लंबे समय से इसके लिए एक वैधानिक व्यवस्था की जरूरत महसूस की जा रही थी. अब मंत्रालय (MoIB) ने इसका रास्ता निकाला है.
केबल टेलीविजन एक्ट में संशोधन
केंद्र सरकार ने आज केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 में संशोधन करते हुए एक अधिसूचना जारी की. इसके जरिये केबल टेलीविजन नेटवर्क अधिनियम, 1995 के प्रावधानों के अनुसार टीवी चैनलों पर प्रसारित कार्यक्रम या विज्ञापन के बारे में लोग शिकायत कर सकेंगे. सरकार के इस फैसले से प्रसारित होनेवाले कंटेंट संबंधी शिकायतों के निवारण के लिए एक वैधानिक व्यवस्था बनाए जाने का रास्ता खुल गया है.
वर्तमान में क्या है व्यवस्था?
वर्तमान में नियमों के तहत कार्यक्रम या विज्ञापन संहिताओं के उल्लंघन से संबंधित पब्लिक कंप्लेन दूर करने के लिए अंतर-मंत्रालय समिति के माध्यम से एक संस्थागत व्यवस्था है. इसी तरह चैनलों ने आईबीएफ (IBF) और एनबीए (NBA) जैसी स्वनियामक व्यवस्था बना रखी है. हालांकि, शिकायत निवारण व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए एक वैधानिक व्यवस्था बनाने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी.
कानूनी मान्यता के लिए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला
कुछ ब्रॉडकास्टर्स ने अपने संबंधित संघों/निकायों को कानूनी मान्यता देने का भी अनुरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने ‘कॉमन कॉज बनाम भारत संघ और अन्य’ के मामले में 2000 की डब्ल्यूपी (सी) संख्या 387 में अपने आदेश में केंद्र सरकार द्वारा स्थापित शिकायत निवारण की मौजूदा व्यवस्था पर संतोष व्यक्त करते हुए शिकायत निवारण व्यवस्था को औपचारिक रूप प्रदान करने के लिए उचित नियम बनाने की सलाह दी थी.
संघों का भी रजिस्ट्रेशन करेगी सरकार
सुप्रीम कोर्ट की सलाह को ध्यान में रखते हुए केबल टेलीविजन नेटवर्क के नियमों में संशोधन किया गया है, ताकि इस वैधानिक व्यवस्था का मार्ग प्रशस्त हो सके जो पारदर्शी होगी और जिससे नागरिक लाभान्वित होंगे. इसके साथ ही प्रसारकों के स्व-नियामक निकायों को केंद्र सरकार में पंजीकृत किया जाएगा.
कार्यक्रम और विज्ञापन संहिता का पालन करना जरूरी
वर्तमान में 900 से भी अधिक टेलीविजन चैनल हैं जिन्हें सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा अनुमति दी गई है, जिनमें से सभी के लिए केबल टेलीविजन नेटवर्क के नियमों के तहत निर्दिष्ट की गई कार्यक्रम और विज्ञापन संहिता का पालन करना आवश्यक है. सरकार द्वारा जारी अधिसूचना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसने प्रसारकों और उनके स्व-नियामक निकायों पर जवाबदेही और जिम्मेदारी डालते हुए शिकायतों के निवारण के लिए एक मजबूत संस्थागत व्यवस्था करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है.