RT-PCR के लिए अब नाक-मुंह के स्वैब की जरूरत नहीं
कोरोना टेस्ट के लिए अब थूक के नमूने होंगे काफी
नई दिल्ली/दि. 19 – कोरोना टेस्ट करने के लिए RT-PCR या रैपिड एंटिजेन टेस्ट इस्तेमाल में लाया जाता है. लेकिन नागपुर के राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी संशोधन केंद्र (National Environment Engineering Research Institute-NEERI) ने एक नया विकल्प खोज निकाला है. NEERI द्वारा की गई इस खोज से अब थूक से कोरोना का टेस्ट हो जाएगा. इस तरह अब कोरोना टेस्ट करवाने के लिए नाक या मुंह के स्वैब लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अहम बात यह है कि NEERI की इस खोज को ICMR ने भी मान्यता दे दी है. कोरोना टेस्ट करने के इस नए तरीके से समय और खर्चे की भी बचत होगी. कोरोना के प्रभाव को रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने कोरोना टेस्टिंग की संख्या बढ़ा दी है. अगर हम RT-PCR टेस्ट की बात करें तो इसमें रिपोर्ट आने में 3 से 4 दिनों का समय लग जाता है. ऐसे समय में अगर मरीज कोरोना पॉजिटिव पाया गया तो उसका इलाज शुरू होने में काफी देर हो चुकी होती है. कई मरीजों की जान सही समय पर इलाज ना हो पाने की वजह से चली गई हैं. ऐसे समय में विकल्प के तौर पर नागपुर के NEERI ने जो नया उपाय ढूंढा है, उससे मरीजों के लिए टेस्टिंग का काम बेहद आसान हो गया है.
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कोरोना टेस्ट कम खर्च और वक्त में सरल और सुलभ
इस नए विकल्प में सलाइन में इस्तेमाल में लाया जाने वाला ग्लूकोज मुंह से लेकर उस थूक को एक पात्र में लिया जाता है. उसके बाद इस नए विकल्प में थूक का इस्तेमाल RT-PCR टेस्ट के लिए किया जाता है. इस विकल्प से समय और पैसे की भी बचत होती है. क्योंकि अब 3 घंटे में कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट मिल सकेगी. साथ ही नाक और मुंह से स्वैब लेने के लिए लगने वाली किट की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. ICMR ने इस नई खोज को मान्यता दे दी है.
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देश के पांच लैब से शुरुआत होगी
शुरू में देशभर के पांच लैब में इसका इस्तेमाल किया जाएगा. इस सिस्टम में लोगों को लाइन में भी लगने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इससे समय की बचत भी होगी और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का उल्लंघन भी नहीं होगा जिससे संक्रमण का खतरा भी कम हो जाएगा. इसलिए जल्दी से जल्दी इसकी शुरुआत का लोगों को इंतजार है.