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‘ पैसे नहीं, ऐसा कैसा कहते है?’

सुप्रीम कोर्ट का महाराष्ट्र सरकार से सवाल

* घनकचरा प्रबंधन प्रकल्प को लेकर लगाई फटकार
नई दिल्ली/दि.25-सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वसई-विरार महापालिका की ठोस घनकचरा प्रबंधन प्रकल्प के लिए निधि नहीं होने के महाराष्ट्र सरकार के रुख को अजीब बताया. यह टिप्पणी करते हुए कि प्रकल्प का रुकना सीधे तौर पर वायु प्रदूषण से संबंधित है और यह ठोस घनकचरा प्रबंधन नियम, 2016 का संदर्भ है, अदालत ने राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.
राष्ट्रीय हरित लवादा ने दिए एक आदेश के खिलाफ वसई-विरार महापालिका ने 2023 में दायर की याचिका पर न्यायाधीश अभय ओक व न्या. उज्जवल भुयान के खंडपीठ के सामने शुक्रवार को सुनवाई हुई. 15 जनवरी को हुई सुनवाई के समय भी अदालत ने नगरविकास विभाग की भूमिका पर सवाल खडा किया. इसके बाद फिरसे शुक्रवार को अदालत ने सरकार को फटकार लगाई. पैसा कहां जाता है? 2016 के नियमों का अमल करने के लिए अत्यावश्यक दो प्रकल्पों के लिए निधि देने की स्थिति में सरकार नहीं, ऐसी राज्य सरकार की भूमिका है क्या? पैसे कहां जा रहे? निधि कब देंगे, यह बताएं…इस प्रकार से सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई. तथा 21 जनवरी से पूर्व राज्य सरकार को हलफनामा पेश करने के आदेश अदालत ने दिए.

* क्या है मामला?
* चरण रवीन्द्र भट्ट ने राष्ट्रीय हरित लवादा से याचिका व मांग की थी कि वसई-विरार महापालिका को ठोस घनकचरा प्रबंधन नियमों का पालन करना चाहिए.
* पुणे में हरित लवादा ने महापालिका को जुर्माना लगाया.
* इसके खिलाफ महापालिका ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.
* 12 दिसंबर 2023 को हुई सुनवाई में कोर्ट ने हरित लवादा के आदेश पर रोक लगा दी.

निधि की कमी के कारण दो प्रकल्प पूरे हो नहीं पाए. आपने जो भूमिका निभाई है वह बहुत चमत्कारी है यह बुरा है कि हमें ऐसा करना पड रहा है. राज्य सरकार को पर्यावरण संरक्षण की संवैधानिक योजना को लागू करने की अपनी जिम्मेदारी का एहसास नहीं है.
– सुप्रीम कोर्ट

 

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