नई दिल्ली/दि 5 – महाराष्ट्र के स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव में आरक्षण के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. राज्य सरकार के जिला परिषद कानून की धारा 12 को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द ठहराया है. जनसंख्या के अनुसार कुछ प्रवर्ग आरक्षित किये भी गये हैं तो वह आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं किये जा सकते. राज्य के कुछ जिलों की तहसीलों में जनसंख्या के अनुसार कुछ क्षेत्र पूर्ण रुप से आदिवासी समाज के लिये आरक्षित हैं. इसके अलावा ओबीसी का 27 प्रतिशत भी आरक्षण लागू होने से आरक्षण की मर्यादा 50 प्रतिशत से अधिक हो रही थी.
-
ओपन पर अन्याय
इस वजह से ओपन वर्ग के उम्मीदवारों पर अन्याय होने की बात रख सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. नागपुर, वाशिम, अकोला, गोंदिया, भंडारा, धुलिया, नंदुरबार जैसे अनेक जिलों में उक्त पध्दति के तहत आरक्षण दिया गया था. अकोला जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष किसन गवली समेत अन्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अमोल करांडे ने याचिका दायर की थी.
-
दोबारा होंगे चुनाव
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय की वजह से कुछ स्थानों पर दोबारा चुनाव लेने पड़ेंगे. उक्त पृष्ठभूमि पर 2 सप्ताह में नोटिफिकेशन जारी करने के आदेश राज्य चुनाव आयोग को दिये गये हैं.