भयानक खाद्द संकट से गुजर रहा उत्तर कोरिया
केला पहुंचा 3 हजार के पार, किसानों से की गई 2 लीटर पेशाब की मांग
फियोंगयांग/दि.२० – खाद्द वस्तुओं की भारी कमी से जूझ रहे उत्तर कोरिया में खाने-पीने की चीजों के दाम सातवें आसमान पर पहुंच गए हैं. देश में केला 3,336 रुपए प्रति किलो, ब्लैक टी का पैकेट 5,167 रुपए, जबकि कॉफी 7,381 रुपए से ज्यादा के रेट पर बेची जा रही है. वहीं, एक किलो मक्के के आटे का दाम 2,4.81 रुपए प्रति किलो पहुंच गए हैं. उत्तर कोरिया में रह रहे अपने गुप्त स्रोतों से वहां की जानकारी इकट्ठा करने वाली एक समाचार एजेंसी एनके न्यूज ने ये जानकारी दी है.
भोजन सामग्री के संकट के पीछे कोरोना महामारी, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और व्यापक बाढ़ के कारण सीमाओं का बंद होना बताया जा रहा है. चीन के आधिकारिक सीमा शुल्क आंकड़ों के अनुसार, देश भोजन, उर्वरक और ईंधन के लिए चीन पर निर्भर है, लेकिन इसका आयात 2.5 बिलियन अमरीकी डॉलर से घटकर 500 मिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है.
किसानों से की गई 2 लीटर पेशाब की मांग वास्तव में, स्थिति इतनी विकट है कि उत्तर कोरियाई किसानों को कथित तौर पर उर्वरक उत्पादन में मदद करने के लिए प्रतिदिन 2 लीटर मूत्र का योगदान करने के लिए कहा गया था. स्थानीय मीडिया के अनुसार देश के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन ने भी स्वीकार किया है कि उत्तर कोरिया की भोजन की स्थिति तनावपूर्ण है.
बता दें कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियारों और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. इसके साथ साथ कोरोना महामारी और बाढ़ ने उत्तर कोरिया की अर्थव्यव्था पर और ज्यादा दबाव डालने का काम किया है.
किम जोन उन ने एक मीटिंग में कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस साल देश की अर्थव्यवस्था में सुधार देखने को मिला है लेकिन खाद्द सामग्री को लेकर देश की स्थिति खराब होती जा रही है क्योंकि कृषि क्षेत्र पिछले साल आंधी से हुए नुकसान के कारण अपनी अनाज उत्पादन योजना को पूरा करने में विफल रहा है.
आपको बता दें कि पिछली गर्मियों में उत्तर कोरिया में भारी संख्या में तूफान और बाढ़ आई थी, जिसने हजारों घरों को तबाह कर दिया था और खेतों में पानी भर गया था.
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पिछले साल से सील हैं देश की सीमाएं
बता दें कि कोरोना वायरस के डर से उत्तर कोरिया की सीमाएं पिछले साल की जनवरी से बंद हैं.
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उत्तर कोरिया में नहीं है कोरोना का एक भी केस
उत्तर कोरिया यह दावा करता रहा है कि उसके देश में कोरोना का एक भी केस नहीं है. हालांकि उसके इस दावे पर विश्लेषक सवाल उठाते रहे हैं.