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नई दिल्ली दि.20 – स्थानीय निकायों के चुनाव में अन्य पिछडा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण पर रोक लगाने के बाद चुनाव प्रक्रिया आरक्षित सीटों के साथ आगे बढेगी या नहीं, इसमें महाराष्ट्र राज्य पिछडा आयोग की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. वह इसलिए कि सुप्रिम कोर्ट ने बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार को ओबीसी से संबंधित उपलब्ध जानकारी और आंकडे राज्य पिछडा आयोग को सौंपने के निर्देश दिए है.
आयोग इन आंकडो के आधार पर ओबीसी आरक्षण दिया जा सकता है या नहीं, इस बारे में अगले दो हफ्तो के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट अदालत को सौंपेगा. जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने बुधवार को यह निर्देश राज्य सरकार की ओर से दायर उस वादकालीन आवेदन (इंटरलोक्युटरी एप्लीकेशन) पर दिया, जिसमें ओबीसी से संबंधित राज्य के पास पहले से उपलब्ध जानकारी और आंकडों के आधार पर चुनाव की अनुमति दिए जाने का आग्रह किया गया था. पीठ ने कहा, ओबीसी आरक्षण के लिए राज्य सरकार उसके पास उपलब्ध डेटा पिछडा आयोग को दे दे, आयोग त्रुटि रहित उस डेटा की शुद्धता की जांच कर यह तय करेगा कि अस्थायी तौर पर आगामी निकाय चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण दिया जा सकता है या नहीं? अगर आयोग उचित समझता है तो आरक्षण के बारे में अपनी अंतरिम रिपोर्ट में वैसी सिफारिश कर सकता है.
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डेटा की शुद्धता के संबंध में कोई अंतिम राय नहीं दी
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि डेटा की शुद्धता के संबंध में उसने काई अंतिम राय व्यक्त नहीं की है. आयोग अगर आरक्षण देना उचित समझता है तो वह अपनी अंतरिम रिपोर्ट में वैसी सिफारिश कर सकता है. शीर्ष अदालत ने भी स्पष्ट कर दिया है कि यह एक्सरसाइज स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी को सीटें प्रदान करने के लिए विकास गवली केस में बताए गए ट्रिपल टेस्ट को पूरा नहीं करेगी अगली सुनवाई 8 फरवरी को होगी.