अब धर्मसंसद की तर्ज पर होगी सद्भावना संसद
देवबंद में आयोजीत जमीयत के सम्मेलन में ऐलान
* पूरे देश में एक हजार सद्भावना संसदों का होगा आयोजन
* इस्लामोफोबिया के खिलाफ देवबंद से उठी आवाज
* देवबंद में 25 राज्यों के 1500 जमीयत मेंबर जुटे
देवबंद/दि.28-उत्तर प्रदेश के देवबंद में आज 28 मई से जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दो दिन का जलसा आयोजित किया है जिसमें शामिल होने के लिए अलग-अलग संगठनों के प्रतिनिधि पहुंचे हुए हैं. इस जलसे के पहले दिन इस्लामोफोबिया के खिलाफ लामबंद होने पर सहमति बनी, तो साथ ही मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सरकार को भी घेरा. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सकारात्मक संदेश देने के लिए धर्मसंसद की तर्ज पर 1000 जगह सद्भावना संसद के आयोजन का ऐलान किया. इस अवसर पर भावुक होते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि बेइज्जत होकर खामोश हो जाना कोई मुसलमानों से सीखे. हम तकलीफ बर्दाश्त कर लेंगे. लेकिन देश का नाम खराब नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि अगर जमीयत उलेमा शांति को बढ़ावा देने और दर्द, नफरत सहन करने का फैसला करते हैं, तो ये हमारी कमजोरी नहीं, ताकत है.
महमूद असद मदनी ने वर्तमान हालात को लेकर शायरी के साथ अपने संबोधन की शुरुआत की और उन्होंने कहा कि हमें हमारे ही देश में अजनबी बना दिया गया. महमूद असद मदनी ने अखंड भारत की बात पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि किस अखंड भारत की बात करते हैं? मुसलमानो के लिए आज राह चलना मुश्किल कर दिया है. ये सब्र का इम्तेहान है.
इससे पहले इस्लामोफोबिया को लेकर भी प्रस्ताव भी पेश किया गया. इस प्रस्ताव में इस्लामोफोबिया और मुस्लिमों के खिलाफ उकसावे की बढ़ती घटनाओं का जिक्र किया गया है. प्रस्ताव में कहा गया है कि इस्लामोफोबिया सिर्फ धर्म के नाम पर शत्रुता नहीं, इस्लाम के खिलाफ भय और नफरत को दिल और दिमाग पर हावी करने की मुहिम है. ये मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ एक प्रयास है. इसके कारण आज देश को धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक अतिवाद का सामना करना पड़ रहा है.
जमीयत की ओर से ये भी आरोप लगाया गया है कि देश पहले कभी इतना प्रभावित नहीं हुआ था, जितना अब हो रहा है. आज देश की सत्ता ऐसे लोगों के हाथों में आ गई है, जो देश की सदियों पुरानी भाईचारे की पहचान को बदल देना चाहते हैं. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर नाम लिए बगैर हमला बोलते हुए जमीयत ने कहा है कि उनके लिए हमारी साझी विरासत और सामाजिक मूल्यों का कोई महत्व नहीं है. उनको बस अपनी सत्ता ही प्यारी है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने हालात पर चिंता जाहिर की है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जलसे में धर्मगुरुओं ने कहा कि 2017 में प्रकाशित लॉ कमीशन की 267 वीं रिपोर्ट में हिंसा के लिए उकसाने वालों के लिए कानून बनाने की सिफारिश की गई थी. इस कानून में सजा दिलाने का प्रावधान हो और सभी कमजोर वर्गों के लिए, खासकर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को सामाजिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के प्रयासों पर रोक लगाई जाए. मुस्लिम धर्मगुरुओं ने लॉ कमीशन की इस सिफारिश पर तुरंत कदम उठाने को जरूरी बताया है.
जमीयत के इस जलसे में धर्मगुरुओं ने ये भी कहा कि मानव की गरिमा के सम्मान का स्पष्ट दिया जाना चाहिए. सभी धर्म, जाति और कौम के बीच आपसी सद्भाव, सहनशीलता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का संदेश देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रायोजित इस्लामोफोबिया की रोकथाम का अंतरराष्ट्रीय दिवस हर साल 14 मार्च को मनाया जाए. हर प्रकार के नस्लवाद और धार्मिक आधार पर भेदभाव को मिटाने के लिए साझा संकल्प लिया जाए.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने ताजा हालात को गंभीर बताते हुए कहा है कि इस स्थिति से निपटने के लिए अलग विभाग बनाने का ऐलान किया है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा है कि हमने इस स्थिति से निपटने के लिए जस्टिस एंड एम्पावरमेंट इनीशिएटिव फॉर इंडियन मुस्लिम नाम से विभाग बनाया है. इसका उद्देश्य नाइंसाफी और उत्पीड़न को रोकने, शांति और न्याय बनाए रखने की रणनीति विकसित करना है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जलसे में मुस्लिम धर्मगुरुओं ने साथ ही ये भी कहा है कि केवल विभाग बना देने से ये लड़ाई नहीं जीती जा सकती. इसके लिए हर स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है.
इससे पहले मौलाना नियाज फारुकी ने कहा कि जलसे में ज्ञानवापी, मथुरा, कुतुब मीनार जैसे तमाम मुद्दों के साथ मदरसों में आधुनिक शिक्षा को लेकर चर्चा होगी. उन्होंने ये भी कहा कि अदालतों में चल रहे मामलों में मजबूती से पैरवी की जाएगी. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे शायर नवाज देवबंदी ने आजतक से बात करते हुए कहा कि लोगों के बीच मोहब्बत का पैगाम पहुंचाने की जरूरत है. आज जरूरत है कि ये पैगाम पहुंचाया जाए कि लोगों को मंदिर और मस्जिद के नाम पर लड़ने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी को मोहब्बत का पैगाम लेकर आगे बढ़ना होगा. जमीयत ने देश में सद्भावना मंच बनाने की बात कही है. उन्होंने शायराना अंदाज में कहा- मोहब्बत के चिरागों को जो आंधी से डराते हैं, उन्हें जाकर बता देना कि हम जुगनू बनाते हैं. यह दुनिया दो किनारों को कभी मिलने नहीं देती, चलो दोनों किसी दरिया पर मिलकर पुल बनाते हैं.