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ओबीसी आरक्षण की आशाएं हुई खत्म

मध्यप्रदेश की रिपोर्ट पर सुको ने सुनाया बडा निर्णय

* महाराष्ट्र के लिए दिया गया आदेश मध्यप्रदेश पर भी किया लागू
नई दिल्ली/दि.10– महाराष्ट्र में ओबीसी आरक्षण की वजह से अब तक लटके स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव की प्रक्रिया आगामी दो सप्ताह में शुरू करने निर्देश विगत दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये थे. जिसे महाराष्ट्र सरकार सहित राज्य के सभी राजनीतिक दलों के लिए काफी बडा झटका माना गया. ऐसे में ओबीसी आरक्षण के ही मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यप्रदेश सरकार की रिपोर्ट पर क्या फैसला सुनाया जाता है, इस ओर सभी राजनीतिक दलों की निगाहें लगी हुई थी. ताकि उस हिसाब से अपनी अगली रणनीतियां तय की जा सके. किंतु सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मध्यप्रदेश सरकार की ओर से पेश की गई रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया गया है और महाराष्ट्र की तरह मध्यप्रदेश में भी आगामी दो सप्ताह के भीतर चुनाव संबंधी प्रक्रिया को शुरू करने का आदेश जारी किया है. ऐसे में ओबीसी आरक्षण को लेकर बची-कुची आशाएं व संभावनाएं भी लगभग खत्म हो गई है.
बता दें कि, इससे पहले स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं में ओबीसी संवर्ग हेतु 27 फीसद आरक्षण दिया जाता था. किंतु इसकी वजह से आरक्षण की अधिकतम सीमा का उल्लंघन होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसकी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित राज्य सरकारों को ओबीसी समाज के राजनीतिक पिछडेपन को साबित करने की ट्रिपल टेस्ट करवाने तथा ओबीसी समाज का इम्पिरिकल डेटा पेश करने का निर्देश दिया था. इस दौरान महाराष्ट्र सरकार ने ओबीसी आरक्षण को लेकर एक अध्यादेश पारित किया था. किंतु सुप्रीम कोर्ट ने इस अध्यादेश के अमल पर भी स्थगनादेश जारी कर दिया था. वहीं कई तारीखों पर हुई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अंतत: ओबीसी आरक्षण के बिना ही राज्य में स्थानीय स्वायत्त निकायों से चुनाव करवाने का निर्देश जारी किया और निर्वाचन आयोग को दो सप्ताह के भीतर चुनावी प्रक्रिया शुरू करने हेतु कहा. हालांकि इससे पहले महाराष्ट्र सरकार द्वारा विधानसभा में विशेष कानून पारित करते हुए राज्य में चुनाव करवाने हेतु प्रभाग रचना तय करने से संबंधित अधिकार अपने पास लिये गये थे. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को ही स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव करवाने का आदेश दिया है. ऐसे में राज्य सरकार सहित राज्य के सभी राजनीतिक दलों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण को लेकर मध्यप्रदेश के मामले में दिये जानेवाले फैसले की ओर लगी हुई थी, ताकि उस हिसाब से अगली रणनीति तय की जाये. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला महाराष्ट्र को लेकर दिया था, वही फैसला मध्यप्रदेश के मामले में भी सुनाया गया है. ऐसे में यह स्पष्ट है कि, अब ट्रिपल टेस्ट व इम्पिरिकल डेटा के बिना ओबीसी आरक्षण मिलने की कोई संभावना नहीं है.

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