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ओबीसी सीटों को छोडकर कराया जाएगा चुनाव

निर्वाचन आयोग ने लिया फैसला

* सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को दी है स्थगिती

नई दिल्ली/दि.7- स्थानिय स्वायंत संस्थाओं में अन्य पिछडा वर्गीयों यानि ओबीसी संवर्ग को दोबारा राजनीतिक आरक्षण बहाल करने हेतु राज्य सरकार की ओर से जारी किये गये अध्यादेश पर कल सुप्रीम कोर्ट द्बारा अंतरीम स्थगिती दी गई. जिसके पश्चात राज्य निर्वाचन आयोग द्बारा निणर्य लिया गया कि, राज्य की 105 नगर पंचायतों भंडारा व गोंदिया जिला परिषद व उनके अंतर्गत आने वाली 15 पंचायत समितियों के आगामी चुनाव तथा 4 महानगर पालिका के उपचुनाव में ओबीसी आरक्षित सीटों के लिए मतदान नहीं कराया जाएगा. वहीं अन्य सीटों पर पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार चुनाव होगा.
बता दें कि, राज्य सरकार द्बारा मंत्री मंडल की बैठक में स्थानिय स्वराज्य संस्थाओं में 27 फीसद ओबीसी आरक्षण देने का निर्णय लेते हुए अध्यादेश जारी किया गया. जिसे चुनौति देने वाली याचिका किसनराव गवली ने सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई तक राज्य सरकार के अध्यादेश पर स्थगिती लागू कर दी. इसे लेकर आदेश जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, महाराष्ट्र सरकार द्बारा विगत 9 माह के दौरान ओबीसी समाज का इम्पिरिकल डेटा तैयार करने को लेकर कोई तैयारी नहीं की. ऐसे में ओबीसी आरक्षण को टिकाये रखने हेतु अध्यादेश जारी करने वाली राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की वजह से काफी बडा झटका लगा है. ज्ञात रहे कि, 4 मार्च 2021 को सर्वोच्च न्यायालय ने स्थानिय स्वराज्य संस्थाओं में ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया था. हालांकि न्यायालय द्बारा कहीं पर भी ऐसा नहीं कहा गया कि, ओबीसी संवर्ग को आरक्षण ही न दिया जाये, बल्कि अदालत ने अपने आदेश में साफ तौर पर कहा था कि, अनुसूचित जाति व जनजाति को जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने के बाद ओबीसी संवर्ग को 50 फीसद की अधिकतम सीमा के भीतर शेष आरक्षण दिया जाये और इसके लिए ओबीसी समाज का इम्पिरिकल डेटा तैयार किया जाए. वहीं राज्य सरकार की ओर से युक्तिवाद किया गया कि, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अधिन रहते हुए भी राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण देने का अध्यादेश जारी किया. जिस पर अदालत ने अपनी नाराजी जताते हुए कहा कि, किसी भी तरह का इम्पिरिकल डेटा भी उपलब्ध नही रहने के चलते निर्वाचन आयोग के पास ओबीसी संवर्ग को आरक्षण देने का पर्याय ही उपलब्ध नहीं है. जिस पर राज्य सरकार की ओर से चिंता जताई गई कि, यदि अध्यादेश पर स्थगिती दी गई, तो ओबीसी संवर्ग व आरक्षण से वंचित रहना पडेगा. तब अदालत ने राज्य सरकार को कडी फटकार लगाते हुए कहा कि, यह समस्या आपके द्बारा ही निर्मित है और इसके परिणाम भी आपको ही भुगतने पडेगे. हमने तो मार्च माह में भी स्पष्ट आदेश दिया था कि, पिछडा वर्गीय आयोग की स्थापना करने व डेटा बेस तैयार करने के बाद ओबीसी आरक्षण दिया जाये. किंतु उस आदेश की अनदेखी करते हुए राज्य सरकार द्बारा अध्यादेश जारी किया गया. यह कतई स्वीकार्य नहीं है. इसके साथ ही अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई 13 दिसंबर को करने का फैसला सुनाते हुए कहा कि, अगली सुनवाई तक महाराष्ट्र सरकार के ओबीसी आरक्षण संबंधी अध्यादेश पर स्थगिती जारी रहेगी.
वहीं सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मद्देनजर राज्य निर्वाचन आयोग द्बारा फैसला किया गया है कि, ओबीसी समाज हेतु आरक्षित सीटों को छोडकर अन्य सभी सीटों पर पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार ही चुनाव करवाये जाएगे.

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