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ओबीसी आरक्षण पर स्थगिती कायम

बिना आरक्षण के होंगे स्थानीय निकाय के चुनाव

* ओबीसी सीटों को माना जायेगा ओपन सीटें

* सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार को फिर लगा झटका

* सरकार की इम्पिरिकल डेटा संबंधी याचिका खारिज

* केंद्र ने राज्य को डेटा देने से किया मना

* कोर्ट का केंद्र को आदेश देने से भी इन्कार

* अगली सुनवाई 17 जनवरी को

*आरक्षण को लेकर चौतरफा घिरी ठाकरे सरकार

नई दिल्ली/दि.15- ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की उध्दव ठाकरे सरकार को एक बार फिर जबर्दस्त झटका दिया है. जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को लेकर जारी की गई स्थगिती को कायम रखा है. साथ ही यह भी कहा है कि, इम्पिरिकल डेटा की शर्त पूर्ण करने तक इस मामले में आगे कोई भी कदम नहीं बढाया जायेगा. साथ ही स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना करवाने का निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों के चुनाव को स्थगित करने से भी मना कर दिया.
ऐसे में यह तय है कि, महाराष्ट्र में 21 दिसंबर को जिन नगर पंचायतों में चुनाव प्रस्तावित है, वहां पर पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुरूप ही चुनाव करवाये जायेंगे. वहीं अन्य चुनावों के संदर्भ में आगामी 17 जनवरी को होनेवाली अगली सुनवाई में निर्णय लिया जायेगा. विशेष उल्लेखनीय यह है कि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्वाचन आयोग को स्पष्ट निर्देश दिया गया कि, ओबीसी संवर्ग के लिए आरक्षित 27 फीसद सीटों को खुले प्रवर्ग के लिए नोटीफाय किया जाये और इन 27 फीसद सीटों सहित शेष 73 फीसद सीटों पर चुनाव करवाते हुए एक ही दिन मतगणना कर चुनावी नतीजे घोषित किये जाये.
बता दें कि, राज्य सरकार द्वारा हस्तपेक्ष याचिका दायर करते हुए मांग की गई थी कि, या तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को इम्पिरिकल डेटा देने हेतु कहा जाये अथवा राज्य सरकार द्वारा जब तक यह डेटा तैयार नहीं किया जाता, तब तक पूरे चुनाव को स्थगित रखा जाये. जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहा गया कि, महाराष्ट्र सरकार द्वारा आरक्षण लागू करने के लिए ट्रिपल टेस्ट को पूर्ण करना जरूरी है. इसका यह अर्थ नहीं है कि, केंद्र को डेटा शेयर करने के लिए निर्देश दिया जा सकता है, क्योंकि केंद्र सरकार के कहे मुताबिक उस डेटा का इस मामले में कोई उपयोग नहीं है. ऐसे में इस याचिका को खारिज किया जाता है. यह याचिका खारिज करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण को लेकर जारी किये गये अध्यादेश को लेकर जारी स्थगिती को कायम रखा है. जिसे महाराष्ट्र की महाविकास आघाडी सरकार के लिए बडा झटका माना जा रहा है.
ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई के चलते केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत किये गये नये हलफनामे में भी राज्य सरकार को इम्पिरिकल डेटा देने से इन्कार कर दिया गया. ऐसे में अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा महाराष्ट्र सरकार के पक्ष में फैसला नहीं दिया गया है, तो इम्पिरिकल डेटा से संबंधित पूरी प्रक्रिया महाराष्ट्र सरकार को ही पूर्ण करनी होगी. बता दें कि, केंद्र सरकार से ओबीसी आरक्षण को लेकर इम्पिरिकल डेटा उपलब्ध कराने की मांग करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि, केंद्र सरकार ने संसद में ओबीसी डेटा 98 फीसद योग्य रहने की जानकारी दी थी और वर्ष 2015 में गृह मंत्रालय द्वारा ग्रामविकास स्टैण्डींग कमेटी के सामने भी यहीं जानकारी उपलब्ध करायी गयी थी. ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा अब यह डेटा ओबीसी आरक्षण हेतु राज्य सरकार को उपलब्ध कराया जाये. किंतु इसे लेकर केंद्र सरकार की ओर से पेश किये गये हलफनामे में कहा गया कि, केंद्र के पास उपलब्ध डेटा में विभिन्न एवं सभी संवर्गों की जानकारी संकलित व संग्रहित है. अत: वह डेटा राज्य सरकार को उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है.
* नौ माह पूर्व दिया गया था डेटा संकलित करने का निर्देश
उल्लेखनीय है कि, करीब नौ माह पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य सरकार को ओबीसी संवर्ग का इम्पिरिकल डेटा संकलित करने का निर्देश दिया गया था. साथ ही विगत दिनों हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य सरकार को इस बात को लेकर कडी फटकार भी लगाई गई थी कि, इन नौ माह के दौरान राज्य सरकार द्वारा इम्पिरिकल डेटा बनाने के काम की शुरूआत भी नहीं की गई. वहीं दूसरी ओर राज्य में स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण के संदर्भ में एक अध्यादेश जारी किया गया था. किंतु इसके खिलाफ दायर हुई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस अध्यादेश पर स्थगिती लागू कर दी थी. ऐसे में ओबीसी संवर्ग का राजनीतिक आरक्षण फिलहाल अस्तित्वहीन हो गया है. ऐसी स्थिति में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा ओबीसी संवर्ग हेतु आरक्षित सीटों के अलावा अन्य सीटों पर चुनाव करवाये जाने का निर्णय लिया गया. वहीं दूसरी ओर जब तक ओबीसी आरक्षण का मसला नहीं निपट जाता, तब तक सभी स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव को स्थगित रखे जाने की मांग भी जोर पकड रही है. क्योंकि इससे स्थानीय स्वायत्त निकायों के पदाधिकारी पदों के चुनाव भी प्रभावित हो सकते है.
* … तो ही सुप्रीम कोर्ट कर सकता है चुनाव स्थगित
इस ओर राज्य सरकार द्वारा ध्यान दिलाये जाने पर सुप्रीम कोर्ट का कहना रहा कि, यदि राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को तीन माह के भीतर ट्रिपल टेस्ट के निर्देश पर अमल करने का आश्वासन दिया जाता है, तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनाव को स्थगित करने का फैसला देने पर विचार किया जायेगा. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक एक लंबा समय दिये जाने के बावजूद भी महाराष्ट्र सरकार द्वारा इम्पिरिकल डेटा से संबंधित शर्त को पूर्ण नहीं किया गया है.
* राज्य में चुनावों को लेकर संभ्रम
बता दें कि, आगामी फरवरी 2022 में राज्य की 18 महानगरपालिकाओं के आम चुनाव होना प्रस्तावित है. जिसमें अमरावती, अकोला, नागपुर, चंद्रपुर, मुंबई, ठाणे, उल्हासनगर, भिवंडी-निजामपुर, पनवेल, मिरा-भाईंदर, पिंपरी-चिचवड, पुणे, सोलापुर, नासिक, मालेगांव, परभणी, नांदेड-वाघाला व लातूर महानगरपालिकाओं का समावेश है. ऐसे में चुनाव की संभावना को देखते हुए सभी राजनीतिक दलों के नेता सक्रिय हो गये है. वहीं दूसरी ओर ओबीसी आरक्षण को लेकर जबर्दस्त माथापच्ची भी जारी है. ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये फैसले के बाद चुनाव होते है या आगे टाले जाते है, इसे लेकर जबर्दस्त संभ्रम देखा जा रहा है.
* क्या कहा राज्य सरकार ने
राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर हस्तक्षेप याचिका में मांग की गई थी कि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य सरकार को इम्पिरिकल डेटा संकलित करने हेतु कुछ समयावधि देने के साथ ही 6 माह के लिए निर्वाचन प्रक्रिया को पूरी तरह रद्द किया जाये. साथ ही यह भी कहा गया था कि, इस अवधि के दौरान राज्य सरकार आकाश-पाताल एक करते हुए इम्पिरिकल डेटा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेंगी. किंतु न्या. ए. एम. खानविलकर व न्या. सी. टी. रविकुमार की अदालत में राज्य सरकार की मांग को खारिज करते हुए स्थानीय निकायों के चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना करवाने का आदेश जारी किया. जिसमें कहा गया कि, 27 फीसद ओबीसी आरक्षित सीटों को खुले प्रवर्ग में ग्राह्य मानते हुए मतदान व मतगणना करवायी जाये तथा एक ही दिन चुनावी नतीजे घोषित किये जाये.
ज्ञात रहे कि आगामी 21 दिसंबर को राज्य की 106 नगर पंचायतों सहित भंडारा व गोंदिया जिला परिषद व उनके अंतर्गत आनेवाली 15 पंचायत समितियों के चुनाव होने है. जो अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश के चलते ओबीसी आरक्षण के बिना करवाये जायेंगे.

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