नई दिल्ली/दि.२२ – पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमत से जनता को कुछ राहत देने के लिए अब तक चार राज्य ईंधन पर टैक्स में कटौती कर चुके हैं. इसके बाद बाकी राज्यों और केंद्र सरकार पर भी इस बात का दबाव बढ़ता दिख रहा है कि पेट्रोल-डीजल पर टैक्स में कटौती लाई जाए. राजस्थान सरकार पिछले महीने पेट्रोल-डीजल पर वैल्यू एडेड टैक्स में 2-2 फीसदी की कटौती का ऐलान कर चुकी है. चुनाव वाले माहौल के बीच पश्चिम बंगाल सरकार ने भी रविवार को पेट्रोल और डीजल पर वैट में प्रति लीटर 1 रुपये की कटौती की है. असम सरकार ने भी उस 5 रुपये के अतिरिक्त टैक्स को हटा दिया है जो पिछले साल कोविड संकट के बीच पेट्रोल और डीजल पर लगाया गया था.
इसी तरह मेघालय सरकार ने भी जनता को बड़ी राहत देते हुए पेट्रोल पर टैक्स में 7.4 रुपये और डीजल पर 7.1 रुपये प्रति लीटर तक की भारी कटौती की है.
दूसरी तरफ, केंद्र सरकार लगातार इस बात से इंकार करती रही है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों के मामले में वह कुछ कर सकती है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संसद में दो टूक कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि तेल की कीमतें तय करने का अधिकार अब तेल कंपनियों के पास है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल में कहा कि अगर पिछली सरकारों ने कच्चे तेल पर देश की निर्भरता को कम किया होता, तो देश को महंगे तेल का बोझ नहीं सहन करना पड़ता. इससे ऐसा लग रहा है कि सरकार अभी टैक्सेज में कटौती करने के मूड में नहीं है.
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टैक्स की करारी मार
पेट्रोल और डीजल की आज जो रिकॉर्ड कीमतें चल रही हैं, उसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि इन पर टैक्स बहुत ज्यादा है. देश के भीतर पेट्रोल या डीजल की कीमतों के तय होने के लिए हम दिल्ली का उदाहरण लेते हैं. सबसे पहले पेट्रोल की कीमत में बेस कीमत जुड़ती है.
जैसे दिल्ली में 16 फरवरी 2021 के हिसाब से बेस कीमत 31.82 रुपये प्रति लीटर था. उसके बाद उसमें ढुलाई के 28 पैसे और जुड़ गए. इसके बाद ऑयल मार्केटिंग कंपनियां यह तेल 32.10 रुपये के भाव से डीलर्स को बेचती हैं. इसके बाद केंद्र सरकार हर लीटर पेट्रोल पर 32.90 रुपये का एक्साइज टैक्स (उत्पाद शुल्क) लगाती है. इस तरह एक झटके में पेट्रोल की कीमत 65 रुपये हो जाती है.
इसके अलावा हर पेट्रोल पंप डीलर हर लीटर पेट्रोल पर 3.68 रुपये का कमीशन जोड़ता है. इसके बाद जहां पेट्रोल बेचा जाता है उसकी कीमत में उस राज्य सरकार की ओर से लगाए गए वैट या बिक्री कर को जोड़ा जाता है. उदाहरण के लिए दिल्ली में वैट का 20.61 रुपया जुड़ जाता है. इस तरह कुल मिलाकर अंत में एक लीटर पेट्रोल के लिए आम आदमी को दिल्ली में 89.29 रुपये चुकाने पड़े.
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तेल पर टैक्स से सरकार को मोटी कमाई
केंद्र सरकार को मौजूदा वित्त वर्ष में पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी से 3.49 लाख करोड़ रुपये हासिल होने का अनुमान है. यह वित्त वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान 2.49 लाख करोड़ रुपये से 39.3 फीसदी या करीब 97,600 करोड़ रुपये ज्यादा होगा. यानी पेट्रोल और डीजल पर टैक्स से सरकार को कोरोना काल के बावजूद इस साल जबरदस्त कमाई होने वाली है.