-
संविधान दिवस पर कही बात
अहमदाबाद/दि.२६– संविधान दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर देश में वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर चर्चा करने और उस ओर आगे बढऩे की बात पर ज़ोर दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सबको मिलकर इस देश में वन नेशन वन इलेक्शन की तरफ आगे बढऩे को लेकर सकारात्मक तौर पर विचार करना होगा, क्योंकि ऐसा होने से हर साल होने वाले चुनावों, उन पर होने वाले खर्चों और चुनावों की वजह से रुकने वाले कामों से बच जा सकेगा.
प्रधानमंत्री ने ये बात गुजरात के केवडिय़ा, जहां पर सरदार पटेल का स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बना है, उस जगह पर संविधान दिवस के मौके पर आयोजित किए गए कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए कही. इस कार्यक्रम में देश के अलग-अलग राज्यों के पीठासीन अधिकारी मौजूद थे. इस संबोधन के दौरान पीएम में बैठक में मौजूद सभी पीठासीन अधिकारियों और संबंधित लोगों से अपील की कि वह वन नेशन वन इलेक्शन यानी एक देश एक चुनाव को लेकर गंभीरता से चर्चा करें और देखें कि कैसे इस ओर देश आगे बढ़ सकता है. प्रधानमंत्री ने कहा वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर देशभर में अध्ययन और मंथन करना जरूरी है, जिससे कि इसको मुमकिन किया जा सके. वन नेशन वन इलेक्शन की जरूरत बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में हर साल कई चुनाव होते हैं, जिसमें पंचायत चुनाव से लेकर नगर निगम चुनाव, विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव और उपचुनाव तक शामिल हैं. साल के कई महीने इन चुनावों में ही निकल जाते हैं, जिसकी वजह से इन चुनावों पर जनता का करोड़ों रुपये तो खर्च होता ही है, इसके अलावा चुनावों की वजह से लगने वाली आदर्श आचार संहिता के कारण कई विकास के कार्य भी रुक जाते हैं और उससे देश के विकास और प्रगति पर भी असर पड़ता है.
वन नेशन वन इलेक्शन की ओर बढऩे के लिए प्रधानमंत्री ने सभी चुनावों के लिए एक ही वोटर लिस्ट रखने का भी सुझाव दिया, प्रधानमंत्री ने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर इस देश में होने वाले अलग अलग चुनावों के लिए अलग अलग वोटर लिस्ट की जरूरत क्यों है. क्यों नहीं एक ही वोटर लिस्ट से देशभर में पंचायत से लेकर लोकसभा तक का चुनाव करवाया जा सकता. पीएम ने कहा कि ऐसा होने से लोगों को होने वाली दिक्कत और परेशानी से तो बचा जा ही सकेगा, साथ ही करोड़ों रुपए की बचत भी हो सकती है.
यह कोई पहला मौका नहीं है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में वन नेशन वन इलेक्शन यानी एक देश एक चुनाव की बात की हो. इससे पहले भी प्रधानमंत्री वन नेशन वन इलेक्शन की बात करते रहे हैं. इसके साथ ही लॉ कमीशन भी वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर अलग-अलग राजनीतिक दलों से उनकी सलाह मांग चुका है. उस दौरान कई राजनीतिक दलों ने वन नेशन वन इलेक्शन की बात रखते हुए वन नेशन वन इलेक्शन की ओर आगे बढऩे का सुझाव दिया था तो कई राजनीतिक दलों ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि हमारे देश में यह मुमकिन नहीं है. क्योंकि इतने बड़े देश में सारे चुनाव एक साथ करवाना तर्कसंगत नहीं है.