पीएम मोदी ने 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी अटल टनल का किया उद्घाटन
लाहौल के 15 बुजुर्ग ने पहला सफर किया
नई दिल्ली/दि.३– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को रोहतांग में अटल टनल का उद्घाटन किया. करीब 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी यह दुनिया की सबसे लंबी टनल है. इसकी लंबाई 9.2 किमी है. इसे बनाने में 10 साल का वक्त लगा.
हिमालय की पीर पंजाल पर्वत रेंज में रोहतांग पास के नीचे लेह-मनाली हाईवे पर इस बनाया गया है. इससे मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी और चार घंटे की बचत होगी. इसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है.
उद्घाटन के बाद टनल में पहला सफर बस से लाहौल स्पीति जिले के 15 बुजुर्गों ने किया. प्रधानमंत्री मोदी ने हरी झंडी दिखाकर एचआरटीसी की बस को रवाना किया.
इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज सिर्फ अटल जी का ही सपना पूरा नहीं हुआ है. आज हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का भी दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है. मेरा सौभाग्य है कि मुझे आज अटल टनल के लोकार्पण का अवसर मिला. राजनाथ जी ने बताया कि मैं यहां संगठन का काम देखता था. पहाड़ों-वादियों में बहुत उत्तम समय बिताता था. जब अटल जी मनाली में आकर रहते थे, तो उनके साथ गप्पें लड़ाता था. मैं और धूमल जी जिसे लेकर अटल जी से जो बात करते रहते थे, वो आज सिद्धी बन गया है.
लोकार्पण की चकाचौंध में वे लोग पीछे रह जाते हैं जिनकी मेहनत से ये पूरा होता है. उनकी मेहनत से इस संकल्प को आज पूरा किया गया है. इस महायज्ञ में पसीना बहाने वाले, जान जोखिम में डालने वाले मेहनतकश जवानों, मजदूर भाई-बहनों और इंजीनियरों को मैं प्रणाम करता हूं.
उन्होंने कहा, ये टनल भारत के बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी नई ताकत देने वाली है. हिमालय का ये हिस्सा हो, पश्चिम भारत में रेगिस्तान का विस्तार हो या फिर दक्षिण और पूर्वी भारत का तटीय इलाका. हमेशा से यहां के इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की मांग उठती रही है. लेकिन लंबे समय से बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट या तो प्लानिंग के लेवल से ही नहीं निकल पाए या फिर अटक गए, लटक गए या भटक गए.
एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से 2014 में अटल टनल का काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती. आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिन आता.
टनल से मनाली और लाहौल-स्पीति घाटी 12 महीने जुड़े रहेंगे. भारी बर्फबारी की वजह से इस घाटी का छह महीने तक संपर्क टूट जाता है. टनल का साउथ पोर्टल मनाली से 25 किमी है. वहीं, नॉर्थ पोर्टल लाहौल घाटी में सिसु के तेलिंग गांव के नजदीक है.
टनल से गुजरते वक्त ऐसा लगेगा कि सीधी-सपाट सड़क पर चले जा रहे हैं, लेकिन टनल के एक हिस्से और दूसरे में 60 मीटर ऊंचाई का फर्क है. साउथ पोर्टल समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि नॉर्थ पोर्टल 3060 मीटर ऊंचा है.
इस टनल का निर्माण 2010 में शुरू हुआ था. 10.5 मीटर चौड़ी, 10 मीटर ऊंची टनल की खासियत है.
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पहले यह रिकॉर्ड चीन के नाम था
अटल टनल से पहले यह रिकॉर्ड चीन के तिब्बत में बनी सुरंग के नाम था. यह ल्हासा और न्यिंग्ची के बीच 400 किमी लंबे हाईवे पर बनी है. इसकी लंबाई 5.7 किमी है. इसे मिला माउंटेन पर बनाया गया है. इसकी ऊंचाई 4750 मीटर यानी 15583 फीट है. इसे बनाने में 38500 करोड़ रुपए खर्च हुए. यह 2019 में शुरू हुई.
24 दिसंबर 2019 को इस टनल का नाम दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर अटल टनल रखने का फैसला किया था. 24 दिसंबर 2019 को इस टनल का नाम दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर अटल टनल रखने का फैसला किया था.