![Earthquake-Amravati-Mandal](https://mandalnews.com/wp-content/uploads/2021/10/Earthquake-Amravati-Mandal-780x470.jpg)
नई दिल्ली /दि.७-जापान (Japan) की राजधानी टोक्यो (Tokyo) के इलाके में गुरुवार रात को भूकंप (Earthquake) का शक्तिशाली झटका महसूस किया गया. रिक्टर स्केल पर भूकंप (Earthquake in Tokyo) की तीव्रता 6.1 मापी गई. लेकिन अधिकारियों ने कहा कि सुनामी (Tsunami) का कोई खतरा नहीं है. मौसम विज्ञान एजेंसी ने कहा कि टोक्यो के पूर्व में चीबा प्रांत (Chiba prefecture) में भूकंप का केंद्र 80 किलोमीटर (48 मील) गहराई में था. भूंकप कितना शक्तिशाली था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है इमारतें हिल गईं. लेकिन जानमाल के नुकसान की फिलहाल कोई खबर नहीं है.
एनएचके पब्लिक टेलीविजन ने अपने कार्यालय में छत से लटके हुए एक फ्रेम को दिखाया, जो तेजी से हिल रहा था. टोक्यो के सुगिनामी जिले में बिजली की लाइनें हिल गईं. एनएचके ने कहा कि टोक्यो से जाने और यहां आने वाले शिंकानसेन सुपर एक्सप्रेस ट्रेनों को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है. शिबुया और शिंजुकु के व्यस्त शहरी जिलों में रिकॉर्ड किए गए वीडियो में कारों को चलते और हमेशा की तरह सड़कों पर दौड़ते हुए देखा गया. नए प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने ट्विटर पर एक मैसेज में कहा कि लेटेस्ट जानकारी की जांच करें और अपने जीवन को सुरक्षित रखने के लिए कार्रवाई करें.
मई में भी आया था भूकंप
इससे पहले, उत्तरी जापान में एक मई को तड़के तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए, लेकिन इससे सुनामी आने का कोई खतरा नहीं था. इस भूकंप में जान-माल का नुकसान भी नहीं देखने को मिला था. जापान मौसम विज्ञान विभाग ने बताया था कि भूकंप की तीव्रता 6.6 थी और इसका केंद्र उत्तरी जापान में मियागी के तट के पास 60 किलोमीटर गहराई में था. इसी इलाके में मार्च 2011 में आए भीषण भूकंप और सुनामी से करीब 20,000 लोगों की मौत हो गई थी.
क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी कई लेयर में बंटी होती है और जमीन के नीचे कई तरह की प्लेट होती है. ये प्लेट्स आपस में फंसी रहती हैं, लेकिन कभी-कभी ये प्लेट्स खिसक जाती है, जिस वजह से भूकंप आता है. कई बार इससे ज्यादा कंपन हो जाता है और इसकी तीव्रता बढ़ जाती है. भारत में धरती के भीतर की परतों में होने वाली भोगौलिक हलचल के आधार पर कुछ जोन तय किए गए हैं और कुछ जगह यह ज्यादा होती है तो कुछ जगह कम. इन संभावनाओं के आधार पर भारत को 5 जोन बांटा गया है, जो बताता है कि भारत में कहां सबसे ज्यादा भूकंप आने का खतरा रहता है. इसमें जोन-5 में सबसे ज्यादा भूकंप आने की संभावना रहती है और 4 में उससे कम, 3 उससे कम होती है.