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2025 तक सभी घरों में लगेंगे प्रीपेड स्‍मार्ट मीटर

बिजली बिल से मिलेगा छुटकारा

नई दिल्ली/दि.19 – केंद्र सरकार ने बिजली मंत्रालय के घाटे को कम करने और उपभोक्‍ताओं को गुणवत्तापूर्ण सुविधा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. बिजली मंत्रालय की नई योजना के तहत सभी राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मौजूदा बिजली मीटरों को प्रीपेड स्‍मार्ट मीटर में बदला जाएगा. बिजली मंत्रालय ने इसके लिए अधिसूचना जारी करके मीटरों को बदलने की समय सीमा भी तय कर दी है.
कृषि क्षेत्रों को छोड़कर यह प्रीपेड स्‍मार्ट मीटर सभी सरकारी और गैर सरकारी प्रतिष्‍ठानों में लगाए जाएंगे. इसके तहत संचार नेटवर्क वाले सभी क्षेत्रों में 2023 तक और देश के अन्‍य हिस्‍सों में 2025 तक प्रीपेड स्‍मार्ट मीटर लगाना अनिवार्य है. वहीं जिन क्षेत्रों में संचार नेटवर्क बहुत कमजोर या एकदम नहीं हैं वहां की स्थिति पर राज्‍य विनियामक आयोग अंतिम फैसला लेगा.
इन नए मीटरों में सबसे अलग बात यह है कि इसमें उपयोग से पहले बिजली रिचार्ज करना होगा. जब आपका रिचार्ज खत्‍म हो जाएगा तो बिजली की आपूर्ति अपने आप बंद हो जाएगी. हालांकि कुछ विशेष परिस्थिति में कुछ दिनों में आपूर्ति जारी रहेगी. अभी पहले हम बिजली का उपयोग करते हैं और बाद में बिल जमा करते हैं.
प्रीपेड स्‍मार्ट बिजली मीटर से उपभोक्‍ताओं को बढ़ा हुआ बिजली बिल संबंधी कई तरह की समस्‍याओं से निजात मिलेगी. साथ ही उन्‍हें बिजली खपत की पल पल की जानकारी मिलती रहेगी. वहीं रीडिंग और बिजली के बिल से भी छुटकारा मिलेगा.

  • ‘डिस्कॉम को 90,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान ठीक नहीं’

इससे पहले, केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने कहा है कि बीते वित्त वर्ष 2020-21 में बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को 90,000 करोड़ रुपये के नुकसान की जो अटकलें लगाई जा रही हैं वह सही नहीं हैं. मंत्रालय ने कहा कि नुकसान का अनुमान ‘जरूरत से ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर’ बताया जा रहा है. हाल में इस तरह की कुछ खबरें आई थीं जिनमें कहा गया था कि वित्त वर्ष 2020-21 में बिजली वितरण कंपनियों का नुकसान 90,000 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया है.
मंत्रालय ने कहा कि ये अटकलें रेटिंग एजेंसी इकरा द्वारा बिजली क्षेत्र पर मार्च, 2021 में प्रकाशित रिपोर्ट के बाद शुरू हुई थीं. मंत्रालय ने बुधवार को बयान में कहा कि इस रिपोर्ट में 2018-19 में 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया गया है. वहीं 2019-20 में नुकसान के बढ़कर 60,000 करोड़ रुपये पर पहुंचने का उल्लेख रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट में इसी आधार पर 2020-21 में डिस्कॉम के कुल घाटे को 90,000 करोड़ रुपये बताया गया है. मंत्रालय ने कहा कि नुकसान के बढ़कर उच्चस्तर पर पहुंचने की अटकलों के पीछे एक वजह 2020-21 में कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के चलते बिजली की बिक्री में गिरावट को बताया गया है.

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