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ज्ञान बढाने का विश्वसनीय स्त्रोत
नई दिल्ली/दि.११ – समाचार पत्रों पर वाचक, विज्ञापन देनेवाले, उत्पादक कंपनियों का सर्वाधिक विश्वास है. जानकारी प्राप्त करने के लिए विश्वसनीय स्त्रोत के रूप में वाचक समाचार पत्रों की ओर अग्रसर होते है तथा अपने उत्पादन की जानकारी समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर ही लोगों तक अधिक प्रभावी रूप से पहुंचाते है. ऐसी विविध कंपनियां, विज्ञापन देनेवाले, व्यावसायिक की धारणा होने का निष्कर्ष एक सर्वेक्षण में निकाला गया.
आवस मीडिया ग्रुप इंडिया इस कंपनी ने यह सर्वेक्षण किया है. इस कंपनी के नीतिविषयक विभाग की संचालिका संचिता रॉय ने बताया कि कोरोना संक्रमण के समय वाचक समाचार पत्रों को अधिक समय तक पढऩे लगे है. यह वाचक ४१ से ५० वर्ष उम्र के है.
समाचार पत्रों में अधिकाधिक आशयघन लिखने के संबंध में वाचको की अपेक्षा और बढ़ गई है. यह अपेक्षा केवल समाचार तक ही सीमित नहीं है. ज्ञान प्राप्त करने के लिए भी दुनिया भर की गतिविधियों की जानकारी तथा भाषा कौशल्य बढाने के लिए महत्वपूर्ण साधन के रूप में समाचार पत्र की ओर अग्रसर होते हैे समाचार के साथ ही विज्ञान , तकनीकी ज्ञान, स्वास्थ्य ऐसे विषय पर लिखावट सबसे अधिक पढ़ी जाती है. ऐसा ही सर्वेक्षण में दिखाई दिया है.
वाहन उत्पादन क्षेत्र को समाचार पत्र में विज्ञापन देना हमेशा ही लाभदायक होता है. जिन्हें अपने जीवन में पहली बार कार खरीदनी है. उसमें से ५५ प्रतिशत लोग उल्लेखित समाचार पत्र में प्रकाशित होनेवाली कार संबंध में विज्ञापन देखते हैे, ऐसा भी सर्वेक्षण में आया है. इसके बाद कौन सी कार्य लेना है. इसका निर्णय लेते है. दूसरी बार कार खरीदने पर भी समाचार पत्र के विज्ञापन पर अधिक विश्वास होता है. मोबाइल फोन के विज्ञापन के बाद कार का विज्ञापन अधिक बार देखा जाता है. इसके अलावा धन संबंधी तथा शिक्षा संबंध में विज्ञापन देने के लिए समाचार पत्र यही सबसे अधिक प्रभावी माध्यम है. ऐसा विज्ञापन देने वालों का विश्वास है. ऐसा भी निष्कर्ष इस सर्वेक्षण में निकाला गया हैे.
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पश्चिम भारत में समाचार पत्र को प्रधानता
समाचार पत्र यह ज्ञान प्राप्त करने का महत्वपूर्ण साधन है. ऐसी दक्षिण भारत के वाचको की धारणा है. समाचार भारत में ३३ प्रतिशत वाचक स्थानीय समाचार के लिए समाचार पत्र पढऩा पसंद करते है.
आवास मीडिया ग्रुप इंडिया इस कंपनी ने किए गये सर्वेक्षण के लिए २१ से ५० उम्रगुट के दो लाख पुरूष-महिलाओं के मत आजमाए गये है.
देशभर के १४ शहरों में यह सर्वेक्षण हुआ. जो वाचक रोज कम से कम एक भी समाचार पत्र खरीदते है. ऐसे लोगों को इस सर्वेक्षण में शामिल किया गया था.
अपने विषय संबंध में लोगों का विश्वास बढाने के लिए ऐसा गुगुल, फेसबुक पर देने के बाद उन्होंने समाचार पत्र में बड़े-बड़े विज्ञापन दिए थे.