नई दिल्ली/दि.१- कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि जब वे और उनकी बहन प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) वाड्रा हाथरस जाने के लिए दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बीच हाईवे पर थे तो उनके काफिले को रोका गया और उन्हें धक्का दिया, लाठीचार्ज किया गया. राहुल और प्रियंका, हाथरस गैंगरेप की पीडि़त के परिजनों से मिलने के लिए हाथरस जा रहे थे. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर निशाना साधते हुए राहुल ने कहा, अभी पुलिस ने मुझे धक्का दिया, मुझ पर लाठीचार्ज किया और मुझे जमीन पर गिरा दिया. मैं पूछना चाहिता हूं कि क्या केवल मोदी जी ही देश में चल सकते हैं? क्या सामान्य आदमी सड़क पर नहीं चल सकता, हमारे वाहन को रोका गया, इसलिए हमने चलना शुरू कर दिया. राहुल गांधी और? प्रियंका गाांधी वाड्रा जब हाथरस की ओर जा रहे थे तो लोगों के एकत्रित होने के लिए लगे बैन के उल्लंघन के लिए उन्हें हिरासत में ले लिया.
पुलिसकर्मियों से हुई तीखी नोकझोंक के बीच राहुल गांधी ने पूछा, आप मुझे अरेस्ट क्यों कर रहे हैं. इसका आधार आखिरकार क्या हैं कृपया मीडिया को बताएं. इस पर पुलिस वाले ने बताया कि आधिकारिक आदेश की अवहेलना करने के लिए सेक्शन 188 के तहत ऐसा किया जा रहा है.कांग्रेस नेता की इस यात्रा से पहले यूपी प्रशासन ने लोगों के एकत्रित होने पर प्रतिबंध लागू कर दिया था और कोरोनावायरस का हवाला देते हुए सीमा पर बैरिकेड लगा दिए थे. कांग्रेस नेताओं ने भी रास्?ता रोका और नारेबाजी की. गांधी परिवार की SUV ने बॉर्डर क्रॉस की लेकिन उनके काफिले को ग्रेटर नोएडा पर रोक लिया गया. जहां उन्हें रोका गया था, वहां से हाथरस की दूरी 142 किलोमीटर है. इसके बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा अपने वाहन से बाहर निकले और कांग्रेस कार्यकताओं के साथ चलना शुरू कर दिया. इस दौरान कार्यकर्ता यूपी की योगी आदित्?यनाथ सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. कुछ देर बाद यूपी पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की. राहुल और प्रियंका ने सैकड़ों की संख्या में कांग्रेस कार्यकताओं के साथ सड़क पर धरना भी दिया. यूपी सरकार के मंत्री और बीजेपी प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने इसे फोटो खिंचाने के लिए गांधी परिवार की कवायद करार दिया.
हाथरस गैंगरेप को लेकर समाजवादी पार्टी की ओर से भी हाथरस बॉर्डर पर प्रदर्शन किया गया, सपा कार्यकताओं को यहां से पीडि़ता के गांव जाने से रोक दिया गया. सोमवार से मीडिया को पीडि़ता के गांव नहीं जाने दिया जा रहा है.यूपी के अधिकारियों ने दावा किया कि कोरोना महामारी के चलते प्रतिबंध एक सितंबर से लागू हैं और इन्हें 31 अक्टूबर तक बढ़ाया गया है. एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों में कोरोना के लक्षण देखने में आए हैं. हालांकि कांग्रेस ने इसे गांधी परिवार को पीडि़ता के गांव में घुसने से रोकने की रणनीति करार दिया है.गौरतलब है कि 14 सितंबर को गांव के ही उच्च जाति के चार युवकों ने युवती के साथ गैंगरेप किया था. युवती खेतों में निर्वस्त्र अवस्था में मिली थी. उसके शरीर से खून बह रहा था. उसके शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे और हड्डियां टूटी हुई थीं.उसकी जीभ भी काट दी गई थी.गैंगरेप पीडि़त की मंगलवार को दिल्ली के एक अस्पताल में मौत हो गई थी और पुलिस ने रात में ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया. परिवार भी अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका. इसे लेकर लोगों में काफी गुस्सा है.