* अन्य 8 बिल्डरों का भी समावेश
दिल्ली./दि.23 – सीबीआई ने धोखाधडी के मामले में डीएचएफएल, उसके पूर्व चेयरमेन कपील वाधवान व धीरज वाधवान समेत अन्य लोगो के खिलाफ अपराध दर्ज किया है. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की अगुवाई में 17 बैंकों के समूह के साथ कथित 34615 करोड रुपए की धोखाधडी को लेकर यह मामला दर्ज किया गया. यह एजेंसी की जांच की दायरे मेें आयी सबसे बडी बैंक धोखाधडी हैं.
अधिकारियों ने बताया कि, मामला दर्ज होने के बाद एजंसियों के 50 से अधिक अधिकारियों को एक दल ने अधिकारियों के मुंबई में 12 स्थानों की तलाशी ली है, इस संबंध में दर्ज प्राथमिकी में एमेरिलिस डियल्टर्स के सुधाकर शेट्टी और 8 बिल्डर्स शामिल है. अधिकारियों के अनुसार बैंक ने आरोप लगया है कि, कंपनी ने 2010 से 2018 के बीच विभिन्न व्यवस्थाओं के तहत बैंको के समूह से 42871 करोड रुपए का कर्ज सुविधा का लाभ लिया था. लेकिन मई 2019 से कर्ज चुकाने में गलती करना शुरु कर दिया. कर्ज देने वाले बैंक की तरफ से कंपनी के खातोें को अलग-अलग समय पर गैर निष्पादित संपत्ती (एनपीए) घोषित किया गया. जनवरी 2019 में जांच शुरु होने के पश्चात फरवरी 2019 में कर्जदाताओं की समिति ने एक बैठक बुलाई थी, जिसके बाद समिति के सदस्यों ने कपीएमजी को 1 अप्रैल 2015 से 31 दिसंबर 2018 तक डीएचएफएल की विशेष समीक्षा ऑडिट करने के लिए नियुक्त किया था. ऑडिट रिपोर्ट में पाया गया कि डीएचएफएल प्रर्वतकों के साथ समानता रखने वाले 66 संस्थाओं को 2910033 करोड रुपए का वितरण किया गया. जिसमें से 29849 करोड रुपए बकाया हैं. बैंक ने आरोप लगाते हुए कहा कि, ऐसी संस्थाओं और व्यक्तियों के अधिकांंश लेन-देन भूमि और संपत्तियाेंं में निवेश की प्रकृति के थे.