नई दिल्ली/दि.७.-रेलवे प्रबंधन की ओर से अब पूरी तरह से खलासियों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. इस संबंध में हाल ही में एक आदेश ६ अगस्त को रेल बोर्ड की ओर से पारित किया गया है. जिसके चलते टेलीफोन अटेंडेंट-कम-डाक खलासी की भर्तियों के मामले को रिव्यू किया जा रहा है. वहीं 1 जुलाई से अब तक टीएडीके की जो भी भर्तियां मंजूर हुई हैं, उनकी भी समीक्षा की जा सकती है. यहां बता दें कि इन्हें बंगला प्यून भी कहा जाता है. ये रेलवे के सीनियर अफसरों के घरों पर काम करते हैं. रेलवे में यह व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है. टीएडीके को शुरुआत में करीब 15 हजार रुपए मिलते हैं. तीन साल बाद इन्हें स्थायी कर दिया जाता है. उसके बाद 20 हजार रुपए और दूसरे फायदे भी मिलते हैं.