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कोरोना काल में कबाड़ बेचकर ही रेलवे ने कर ली 4575 करोड़ रुपये की कमाई

RTI से हुआ खुलासा

नई दिल्ली/दि.4 – कोरोना वायरस संकट के कारण पैसेंजर ट्रेनों के बंद रहते हुए रेलवे को राजस्व का भारी नुकसान हुआ, लेकिन केवल कबाड़ बेचकर ही रेलवे ने बंपर कमाई कर ली. जी हां! सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में इस बात का खुलासा हुआ है. यात्री सेक्शन में राजस्व के भारी नुकसान के बावजूद रेलवे को कबाड़ की बिक्री से अच्छी खासी आय हुई है.
सूचना का अधिकार (RTI) के तहत मिले एक जवाब से पता चला कि 2020-21 में रेलवे को इस मद में अब तक की सर्वाधिक 4575 करोड़ रुपये की आय हुई. इससे पहले 2010-11 में कबाड़ बेचकर 4,409 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाया गया था.
बता दें कि पटरियों का पुराना होना, पुरानी लाइन को बदलने, पुराने ढांचे को त्यागने, पुराने इंजन, डिब्बों आदि से कबाड़ सामग्री बनती है. तेजी से रेल रूट्स के विद्युतीकरण, डीजल इंजनों को बदलने और कारखानों में निर्माण के दौरान भी कबाड़ सामग्री बनती है. पिछले कुछ वर्षों में रेलवे के लिए यह आय का अच्छा खासा स्रोत रहा है.

  • पिछले 5 सालों की तुलना में अधिक कमाई

मध्य प्रदेश के चंद्र शेखर गौड़ द्वारा आरटीआई (RTI) कानून के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में रेलवे बोर्ड ने कहा कि कोविड-19 महामारी से प्रभावित 2020-21 में रेलवे को कबाड़ से पिछले साल की तुलना में पांच प्रतिशत अधिक आय हुई. रेलवे ने कहा कि 2019-20 में 4,333 करोड़ रुपये की कबाड़ सामग्री की बिक्री की गयी और 2020-21 में कबाड़ से 4,575 करोड़ रुपये की आमदनी हुई.
रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा कि कबाड़ की बिक्री की प्रक्रिया को और सुगम, पारदर्शी बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं. कबाड़ की नीलामी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होती है जिससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी नहीं रहती और सभी हितधारकों के लिए प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रहती है.

  • अब तक की सबसे अधिक कमाई

रेलवे के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान, रेलवे बोर्ड के 4,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले रेलवे ने कबाड़ से 4,575 करोड़ रुपये जुटाए. कबाड़ की बिक्री से यह भारतीय रेलवे द्वारा हासिल की गई अब तक की सबसे अधिक आय थी. यह निर्धारित लक्ष्य से करीब 14 फीसदी ज्यादा है और पिछले वित्त वर्ष के कबाड़ बिक्री के आंकड़े से करीब पांच फीसदी ज्यादा है.’’

  • अब 4,100 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘यह आंकड़ा 2020-21 के दौरान कोविड-19 महामारी और 2020-21 की पहली तिमाही में बिक्री की लगभग शून्य गतिविधि के बावजूद हासिल किया गया था. विशेष रूप से 2020-21 की अंतिम तिमाही के दौरान कबाड़ बिक्री को गति मिली. जोनल रेलवे में संबंधित विभागों के बीच सहयोग से ना केवल लक्ष्य प्राप्त किया गया बल्कि इसे पार भी किया गया. जोनल रेलवे के हिसाब से पश्चिम रेलवे द्वारा 491 करोड़ रुपये का उच्चतम आंकड़ा हासिल किया गया.’’ अधिकारियों ने बताया कि रेलवे बोर्ड ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कबाड़ की बिक्री से 4,100 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है. वर्ष की पहली तिमाही के दौरान कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण बिक्री गतिविधियों पर प्रभाव के बावजूद 20 जून तक 444 करोड़ रुपये के कबाड़ की बिक्री की गई है.

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