नई दिल्ली/ दि. 7 – पिछले कुछ सालों से सत्ता से दूर रहे महाराष्ट्र के दिग्गज नेता नारायण राणे की नई इनिंग शुरू हुई है. वे मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में सबसे पहले शपथ लेने वाले मंत्री बने हैं. कोविड काल का ध्यान रखते हुए एक सादगी से पूर्ण कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. बुधवार शाम 6 बजे शुरू हुए इस कार्यक्रम में 43 मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई. इन 43 मंत्रियों की सूची में नारायण राणे का नाम सबसे ऊपर था. इसलिए उन्होंने सबसे पहले शपथ ली. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैय्या नायडू, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित सभी केंद्रीय मंत्री उपस्थित थे.
कट्टर शिवसैनिक, विधानसभा के विपक्षी नेता, पूर्व मुख्यमंत्री और अब केंद्रीय मंत्री नारायण राणे का इस तरह बढ़ता रहा है राजनीतिक जीवन. आज अगर महाराष्ट्र में शिवसेना से टक्कर लेना है तो भाजपा के लिए नारायण राणे से बेहतर नाम कोई और नहीं है. एक जमाने में कट्टर शिवसैनिक रहे नारायण राणे 2005 में कांग्रेस में शामिल हुए, महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी से होते हुए 2018 भाजपा में शामिल हुए. राज्यसभा सांसद हुए और बुधवार (7 जुलाई) को मोदी मंत्रिमंडल में सबसे पहले शपथ ग्रहण करने वाले मंत्री बने.
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’12 सालों में जो कांग्रेस ने नहीं समझा वो भाजपा ने 2 सालों में समझा’
नारायण राणे के शपथ लेते ही उनके बेटे नीतेश राणे ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि नारायण राणे की अहमियत कांग्रेस को 12 साल में भी नहीं समझ आई जो भाजपा ने दो सालों में समझा. यह भाजपा ने समझा कि नारायण राणे की कीमत क्या है, राजनीति में उनका वजन क्या है और उनके काम का सम्मान किया. कांग्रेस ने बार-बार वचन दिया, लेकिन कभी पूरा नहीं किया. भाजपा ने डेढ़ सालों में मुझे विधायक बनाया, मेरे बड़े भाई को प्रदेश भाजपा के लिए काम करने का मौका दिया. राणे साहब को केंद्र में मंत्री पद दिया. आम कार्यकर्ताओं की जान समझी जाने वाली पार्टी के रूप में भाजपा की जो पहचान है, आज उस पर मुहर लग गई.
महाराष्ट्र के कोकण रीजन से संबंध रखने वाले नारायण राणे ने हाल ही में हुए स्थानीय निकाय के चुनावों में भाजपा के झंडे गाड़ेऔर शिवसेना के गढ़ में उन्हें हराया. तब से ही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के ध्यान में इनका नाम रहा है. हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने कणकवली में नारायण राणे द्वारा शुरू किए गए एक अस्पताल के उद्घाटन में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई. तब से ही महाराष्ट्र की राजनीति में खास तौर से भाजपा के भीतर उनका वजन अत्यधिक बढ़ गया और विपक्ष पर उनके हमलों में भी और तेजी आई.
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कौन हैं नारायण राणे?
नारायण तातू राणे का जन्म 20 अप्रैल 1952 को कोकण में हुआ. कोकण के बड़े जनाधार वाले गिने चुने नेताओं में नारायण राणे का नाम आता है. शिवसेना से उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. आक्रामक स्वभाव के नारायण राणे शिवसेना में एक के बाद एक बड़ी सीढ़ियां चढ़ते गए. शुरुआत मुंबई के चेंबूर इलाके के शिवसेना शाखा प्रमुख से हुई. 1985 में वे मुंबई महानगरपालिका के बेस्ट समिति के अध्यक्ष बने. 1990 में वे पहली बार कणकवली-मालवण क्षेत्र से पहली बार विधायक बने. 1995 में भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सत्ता आने पर उन्हें शिवसेना की तरफ से दुग्ध व्यवसाय विकास, पशु संवर्धन, मतस्य व्यवसाय, विशेष सहायता और पुनर्वसन उद्योग के विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई.
1997 में वे राजस्व मंत्री बने. मनोहर जोशी को साल 1998 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा तब 1998 से 1999 तक वे मुख्यमंत्री रहे. 2005 में शिवसेना छोड़ कर वे कांग्रेस में गए. 2009 में कांग्रेस आघाडी की सत्ता आई तो वे उद्योग मंत्री बने. इसके बाद वे 2018 में भाजपा में आए और राज्यसभा सांसद बने. इस तरह वे अपने इस लंबे राजनीतिक जीवन को तय करते हुए बुधवार (7 जुलाई) को मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में सबसे पहले शपथ लेने वाले मंत्री बने.