नई दिल्ली/दि.१४- भारतीय रिजर्व बैंक बोर्ड ने केंद्र सरकार को सरप्लस ट्रांसफर की मंजूरी दे दी है. इसके तहत 57,128 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जाएंगे. इसके अलावा बोर्ड ने आपात रिस्क बफर को 5.5 प्रतिशत पर कायम रखने का फैसला किया है. आरबीआई की ओर से जारी बयान के मुताबिक गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक हुई. इसी बैठक में सरप्लस ट्रांसफर का फैसला लिया गया है.
सरप्लस एक तरह से रिजर्व बैंक का लाभांश होता है. दरअसल, रिजर्व बैंक को सरकारी बॉन्ड, गोल्ड, फॉरेक्स, बॉन्ड ट्रेडिंग के जरिए मोटी कमाई होती है. इस कमाई में से रिजर्व बैंक अपनी जरूरत की रकम रख कर एक हिस्सा अलग करता है. इसी हिस्से को सरप्लस या डिविडेंड या लाभांश कहते हैं. ये सरप्लस सरकार को ट्रांसफर करना होता है.
विवादित रहा है सरप्लस का मुद्दा
आपको बता दें कि सरप्लस के बीच केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच कई बार तनातनी का माहौल भी देखने को मिलता रहा है. शक्तिकांत दास से पहले आरबीआई गवर्नर रहे उर्जित पटेल के इस्तीफे के पीछे इस विवाद को माना जाता है.
सरकार के लिए जरूरी क्यों
आरबीआई बोर्ड ने इस रकम को मंजूरी ऐसे समय में दी है जब सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है. पहले आर्थिक सुस्ती और फिर कोरोना की मार से अर्थव्यवस्था की सेहत पतली हो गई है. यही वजह है सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 12 लाख करोड़ से ज्यादा कर्ज लेने का फैसला भी लिया है.
बोर्ड बैठक में इन मुद्दों पर भी हुई बात
आरबीआई बोर्ड की बैठक में मौजूदा आर्थिक स्थिति, वैश्विक और घरेलू चुनौतियों तथा केंद्रीय बैंक द्वारा कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव से उबरने के लिए किए गए मौद्रिक, नियामकीय और अन्य उपायों की समीक्षा की गई. रिजर्व बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि केंद्रीय बोर्ड ने नवोन्मेषण केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव पर भी विचार-विमर्श किया. बोर्ड ने रिजर्व बैंक की 2019-20 के लिए वार्षिक रिपोर्ट और लेखा-जोखा को भी मंजूरी दे दी.