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रेल दुर्घटनाओं में आयी कमी, बढे आत्महत्या के मामले

हिं.स./दि.१४

मुंबई – लॉकडाउन के दौरान रेलगाडी की चपेट में आकर मरने वालों की संख्या में काफी कमी आई है, लेकिन इस दौरान आत्महत्या करने वालों की संख्या बढी है. पश्चिम रेलवे के आंकडो के मुताबिक पिछले साल जनवरी से जुलाई महीने के बीच रेल पटरियों पर ८२८ लोगों ने जान गंवाई थी. इनमें से ३२ यानी ३.८६ फीसदी मामले आत्महत्या के तौर पर दर्ज हुए थे. लेकिन इस साल जनवरी से जुलाई महीनों के बीच रेल पटरियों पर होने वाली मौत के आंकडे घटकर आधे रह गए और ४३६ लोगों ने ट्रेन की चपेट मे आकर जान गंवाई, लेकिन इनमे से ४३ यानी ९.८ फीसदी मामलों में लोगों ने आत्महत्या की थी. इस साल १० में से एक व्यक्ति आत्महत्या के चलते रेल पटरियों पर जान गंवाई, पिछले साल के अनुपात में कई ज्यादा पिछले साल रेल पटरियों पर मरने वाले २५ लोगों में कोई एक आत्महत्या करता था. जबकि इस साल १० में से एक व्यक्ति आत्महत्या के चलते रेल पटरियों पर जान गंवाई. मध्य रेवले के मुंबई विभाग में भी रेल पटरी पर मरने वालों से आत्महत्या करने वालों की संख्या बढी है. पिछले साल मध्य रेलवे में जनवरी से जुलाई के बीच पटरियों पर मौत के ८०१ मामले सामने आए थे. इनमें ६ यानी ०.७४ फीसदी लोगों ने आत्महत्या की थी. जबकि इस साल जनवरी से जुलाई महीने के बीच रेल पटरियों पर कुल ३५९ मौते हुई थी. जिनमें १.०२ फीसदी मामले आत्महत्या के है. हालांकि आत्महत्या के मामले और ज्यादा हो सकती है. दरअसल आत्महत्या के मामले में मरने वालो के परिवार वालों को बीमे की रकम नहीं मिलती. इसलिए कई बार मृतक परिजन मोटरमैन से संपर्क कर आत्महत्या की रिपोर्ट करने की जगह दुर्घटना का मामला बताने का अनुरोध करते है.

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