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सहकारी बैंकों को डूबने से बचाने के लिए रिजर्व बैंक का बड़ा फैसला

सांसद-विधायकों को दिया झटका

नई दिल्ली/ दि.२६- रिजर्व बैंक ने बड़ा फैसला लेते हुए सहकारी बैंकों में शीर्ष पदों के लिए कुछ पैमाने (Criteria) घोषित किए हैं. इन पैमानों के मुताबिक जो सबसे अहम है, वो ये है कि अब से सांसद, विधायक और नगर निगम के प्रतिनिधि, शहरी सहकारी बैंकों के एमडी या पूर्णकालिक निदेशक नहीं बन सकेंगे. साथ ही आरबीआई ने कारोबारियों और किसी कंपनी में अच्छा-खासा दखल रखने वाले लोगों को भी इन पदों पर काबिज होने से रोक दिया है.

RBI ने तय की योग्यताएं

रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को ऐलान किया कि सहकारी बैंकों में सीईओ और पूर्णकालिक निदेशक बनने के लिए न्यूनतम योग्यता और उम्र सीमा होगी. नियमों के मुताबिक सीईओ की न्यूनतम उम्र 35 साल से कम और 70 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए. साथ ही कोई भी व्यक्ति बैंक के एमडी और पूर्णकालिक निदेशक के पद पर 15 साल से अधिक समय तक नहीं रह सकेगा.

सहकारी बैंकों के संचालन में बदलाव की शुरुआत बीते साल जून में ही हो गई थी, जब देश के केंद्रीय बैंक ने एक अध्यादेश लाकर 1482 शहरी सहकारी बैंकों और 58 मल्टी स्टेट सहकारी बैंकों को अपने अधीन देखरेख करने का फैसला लिया था. आरबीआई का यह फैसला ऐसे समय आया है, जब देश के कई शहरी सहकारी बैंक डूबने के कागार पर हैं. जिनमें सबसे प्रमुख मामला पंजाब एंड महाराष्ट्र कॉ-ऑपरेटिव बैंक का है, जिसके सीईओ ने कुछ साथियों के साथ मिलकर फंड को रियल एस्टेट डेवलेपर्स को डाइवर्ट कर दिया, जिसका खामियाजा बैंक को उठाना पड़ा. साथ ही अब इन बैंकों में एमडी और पूर्णकालिक निदेशक बनने के लिए व्यक्ति का स्नातक होना अनिवार्य कर दिया गया है या फिर उनके पास वित्तीय योग्यता जैसे सीए, कॉस्ट अकाउंटेंट, एमबीए या बैंकिंग या कॉ-ऑपरेटिव बिजनेस मैनेजमेंट में डिप्लोमा या डिग्री होना जरूरी है. साथ ही सहकारी बैंकों में शीर्ष पद, उन्हीं लोगों को दिए जाएंगे, जिनके पास बैंकिंग सेक्टर में मध्यम या वरिष्ठ स्तर पर प्रबंधन का कम से कम 8 साल का अनुभव हो.

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