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RSS सैन्य संगठन नहीं बल्कि पारिवारिक माहौल वाला समूह है

‘घोष शिविर’ के समापन समारोह में बोले मोहन भागवत

नई दिल्ली /दि.२८- आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आज कहा है कि संघ सैन्य संगठन नहीं है, यह एक पारिवारिक माहौल वाला समूह है. संघ प्रमुख ने कहा कि RSS सिर्फ कोई अखिल भारतीय संगीत विद्यालय नहीं है. यहां पर मार्शल आर्ट कार्यक्रम भी होते है. मोहन भागवत ने कहा कि संघ न तो अखिल भारतीय जिम है और न ही मार्शल आर्ट क्लब. उन्होंने कहा कि कभी-कभी, संघ को अर्धसैनिक बल के रूप में बताया जाता है. मोहन भागवत ने इस बात पर बल दिया कि संघ एक सैन्य संगठन नहीं है.

मोहन भागवत ने कहा कि संघ एक परिवार (RSS) के माहौल वाला एक समूह है. ये बातें उन्होंने RSS के मध्य भारत प्रांत के चार दिवसीय घोष शिविर के समापन समारोह में कही. उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश संगीत को मनोरंजन मानते हैं. वहां पर संगीत को सिर्फ रोमांच के लिए बजाया जाता है. संघ प्रमुख (RSS Chief) ने कहा कि भारत में संगीत आत्मा को शांत करने के लिए बजाया जाता है. उन्होंने कहा कि संगीत मन को शांत करने वाली कला है.

RSS पारिवारिक माहौल वाला समूह’

बता दें कि गुरुवार को शुरू हुए चार दिन के घोष शिविर के लिए मोहन भागवत शुक्रवार रात को ग्वालियर पहुंचे थे. आरएसएस, वेस्ट इंडिया के एक सीनियर पदाधिकारी ने बताया कि ग्वालियर के शिवपुरी लिंक रोड पर सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में म्यूजिकल बैंड कैंप का समापन हुआ. इस शिविर में RSS मध्य प्रदेश भारत प्रांत, ग्वालियर और भोपाल संभाग समेत 31 जिलों से आए 500 से ज्यादा वादक शामिल हुए.

मोहन भागवत ने पिछले हफ्ते छत्तीसगढ़ में संगीत वाद्ययंत्रों के प्रदर्शन के कार्यक्रम ‘घोष दर्शन’ में हिस्सा लिया था. आरएसएस पदाधिकारी विनय दीक्षित ने कहा कि RSS का गठन 1925 में हुआ था, जबकि इसकी संगीत शाखा 1927 में बनी थी. उन्होंने कहा कि ड्रिल के दौरान संगीत बैंड, विशेष रूप से ड्रम, का उपयोग शाखाओं में किया जाता है.

‘भारत को ‘अखंड’ बनना होगा’

RSS संघ प्रमुख 26 नवंबर को 4 दिवसीय ‘घोष शिविर’ को संबोधित करने और मार्गदर्शन करने के लिए ग्वालियर पहुंचे थे. ऐसे में शिवपुरी लिंक रोड स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में घोष शिविर की शुरुआत हुई. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि ‘‘हिंदुस्तान’’ एक हिंदू राष्ट्र है जिसका उद्गम हिंदुत्व था और हिंदू एवं भारत अविभाज्य हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू यदि हिंदू बने रहना चाहते हैं तो भारत को ‘अखंड’ बनना ही होगा.

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