सभी राज्यों में कम हो रहे RT-PCR टेस्ट
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कई जगह 9 फीसदी तक वैक्सीन बर्बाद
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बढ़ते कोरोना केसों पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने जताई चिंता
नई दिल्ली/दि.१३ – देश में कोरोनावायरस का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. लगातार वायरस के मामले बढ़ रहे हैं. इस बीच मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि देश में कुल कोविड मामलों में से 89.51 फीसदी मरीज रिकवर हो चुके हैं. 1.25 फीसदी मौतें हुई हैं और लगभग 9.24 फीसदी नए कोविड मामले हैं. पंजाब में मध्य फरवरी में हर रोज 300 मामले सामने आते थे अब यह बढ़कर 3,000 हो गए हैं. कर्नाटक में औसतन हर दिन 404 मामले सामने आते थे अब ये बढ़कर 7,700 हो गए हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि कोरोना के मामलों में शीर्ष उछाल पूर्व के आंकड़ों को पार कर चुका है और इसमें बढ़त जारी है, जो कि चिंता का विषय है. कोविड-19 के ज्यादा मामले वाले जिलों में तैनात करीब 53 केंद्रीय टीम संक्रमण के बढ़ते मामलों से निपटने में राज्यों की मदद कर रही है. छत्तीसगढ़ के मामले में साप्ताहिक पॉजिटिविटी डेढ़ प्रतिशत से बढ़ रही है. यह 27.9 फीसदी से बढ़कर लगभग 28 फीसदी हो गई है. इसलिए, यह चिंता का एक और कारण है. उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र में आप पाएंगे कि औसत दैनिक मामले, सप्ताह दर सप्ताह, काफी बढ़ गए हैं और 57,000 से ऊपर पहुंच गए हैं. महाराष्ट्र में रोजाना आरटीपीसीआर टेस्ट की हिस्सेदारी को देखते हैं तो वह लगातार कम होते जा रहे हैं. आज सुबह 8 बजे तक, देश में 10.85 करोड़ से अधिक वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है. पिछले 24 घंटों में 40 लाख से अधिक खुराक दी गई है.
उन्होंने कहा, अब तक हमने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोरोना वैक्सीन की 13,10,90,000 खुराकें दी हैं. एक तरफ, हमारे पास केरल जैसे राज्य हैं जहां वैक्सीन की बिल्कुल बर्बादी नहीं हुई है. वहीं दूसरी ओर, हमारे पास कई अन्य राज्य हैं जहां अभी भी 8-9 फीसदी बर्बादी हुई है. यदि आप बर्बादी को ध्यान में रखकर और खपत को देखते हैं तो राज्यों ने 11.43 करोड़ खुराक का उपयोग किया.
राजेश भूषण ने कहा कि उत्तर प्रदेश में रोजाना औसतन 89 मामले बढ़े हैं और ये बढ़कर एक दिन में आने वाले 10,000 हो गए हैं. रोजाना आरटी-पीसीआर टेस्ट लगभग 45 से 44 फीसदी हो रहे हैं, इसलिए उन्हें भी बढ़ाने की आवश्यकता है. साप्ताहिक पॉजिटिविटी 5 फीसदी से नीचे है यानी 4.84 फीसदी. फरवरी मध्य में मध्य प्रदेश में औसतन 267 मामले आते थे, अब यह बढ़कर 4,900 हो गए हैं. तमिलनाडु में औसतन 450 मामले आते थे अब यह बढ़कर 5,200 हो गए है. दिल्ली में 134 मामले आते थे अब यह बढ़कर 8,104 हो गए हैं.