नई दिल्ली/दि. 1 – जहां एक ओर कोरोना का संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है, वहीं दूसरी ओर देश में इस घातक वायरस के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है. इस बीच शनिवार को रूस की वैक्सीन स्पूतनिक वी की पहली खेप भारत पहुंच गई है. मॉस्को से एक विमान में स्पूतनिक वी की 1,50,000 डोज हैदराबाद लाई गई हैं. रूसी वैक्सीन की 30 लाख डोज इस महीने में आने वाली हैं.
स्पुतनिक वी वैक्सीन डॉ. रेड्डी की लेबोरेटरीज में भेजी जाएगी, जिसने भारत में स्पुतनिक वी के उत्पादन के लिए रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (RDIF) के साथ हाथ मिलाया है. 13 अप्रैल को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने देश में कोरोनावायरस के खिलाफ स्पुतनिक वी वैक्सीन के इमरजेंसी उपयोग को मंजूरी दी थी. स्पुतनिक वी को मंजूरी देने वाला भारत 60वां देश बना.
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भारत में वैक्सीन की हर साल 85 करोड़ डोज तैयार होंगे
रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष ने कहा था कि भारत में हर साल स्पुतनिक वी वैक्सीन की 85 करोड़ से अधिक खुराक तैयार होंगी. यह वैक्सीन रूस में नैदानिक परीक्षणों को पूरा कर चुकी है और भारत में तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षणों में इसके परिमाण सकारात्मक हैं. भारत में यह परीक्षण डॉ. रेड्डीज के साथ मिलकर किए गए.
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आबादी के लिहाज से स्पूतनिक को अपनाने वाले सबसे बड़ा देश भारत
आरडीआईएफ ने एक बयान में कहा था कि आबादी के लिहाज से भारत इस टीके को अपनाने वाला सबसे बड़ा देश है और वह स्पुतनिक वी के उत्पादन में भी अग्रणी है. स्पुतनिक वी भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ इस्तेमाल होने वाली तीसरी वैक्सीन है. इससे पहले डीसीजीआई ने जनवरी में पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन कोविशील्ड तथा भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी थी.
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रूसी वैक्सीन का असर 91.6 प्रतिशत तक
आरडीआईएफ के सीईओ किरिल दिमित्रिव ने कहा था कि वैक्सीन को मंजूरी एक बड़ा मील का पत्थर है, क्योंकि दोनों देशों के बीच स्पुतनिक वी के नैदानिक परीक्षणों और इसके स्थानीय उत्पादन को लेकर व्यापक सहयोग विकसित हो रहा है. रूसी वैक्सीन का असर 91.6 प्रतिशत तक है और ये कोविड-19 के गंभीर मामलों के प्रति पूर्ण सुरक्षा मुहैया कराता है, जैसा कि प्रमुख चिकित्सा पत्रिका द लैंसेट में प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है.