नई दिल्ली/दि.१२– बीते मार्च माह से कोरोना संक्रमण के चलते बंद पड़े स्कूलों को सितंबर से खोला जा सकता है, अभी जो प्रस्तावित योजना है, उनमें दसवीं और बारहवीं के बच्चों को पहले बुलाया जाएगा. जिन्हें रोटेशन के अनुसार हफ्ते में दो से तीन दिन ही स्कूल आना होगा. जैसे-जैसे संक्रमण की स्थिति सामान्य होगी, वैसे वैसे बाकी कक्षाओं के छात्रों को भी बुलाने का फैसला लिया जाएगा. स्कूलों को खोलने का यह ऐलान १५ अगस्त के बाद हो सकता है.
यहां बता दें कि जिस तरीके से सुरक्षा मानकों के तहत सार्वजनिक बसों का संचालन, बाजार, मंदिर को आम लोगों के लिए खोला गया है, उसमें स्कूलों को खोलने को लेकर भी दबाव बढऩे लगा है. इसे लेकर निजी स्कूल सबसे ज्यादा सक्रिय है. इनका मानना है कि बच्चो की पढ़ाई पूरी तरह से ऑनलाइन नहीं कराई जा सकती है. खासकर ऐसे बच्चे जिनकी बोर्ड की परीक्षाएं अगले ही कुछ महीनों के बाद होने वाली है, ऐसे में उन्हें बगैर क्लास रूम और लैब तक लाए उनकी पढ़ाई अधूरी ही रहेगी. इसके साथ ही सारे बच्चों की आनलाइन पढ़ पाने की पहुंच भी नहीं है।.
प्रस्तावित सेफ्टी गाइडलाइन को अंतिम रूप देने में जुटा मंत्रालय
मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मौजूदा समय में जब सब कुछ खुल गया है तो स्कूलों को भी सेफ्टी गाइडलाइन के साथ शुरू किया जा सकता है. इनमें कोई परहेज नहीं है. साथ ही इसे लेकर स्कूलों की भी जवाबदेही तय की जाए, ताकि कोई भी सेफ्टी गाइडलाइन का उल्लंघन न कर सके. स्कूलों के लिए यह सेफ्टी गाइडलाइन एनसीईआरटी ने तैयार किया है. जिसमें बच्चों के बीच की दूरी दो गज रखने, मास्क लगाने, हाथ को साबुन से साफ रखने, क्लास को हर दिन सैनीटाइज करने, असेंबली आयोजित न करने, हाथ धुले बगैर बच्चों को कुछ भी न खाने को लेकर जागरुक करने आदि पर सुझाव दिए है।.
स्कूलों को खोलने को लेकर यह हलचल इसलिए भी शुरू हुई है, क्योंकि अब दुनिया भर में स्कूलों को खोला जा रहा है. हाल ही में इंग्लैड ने इसे लेकर अहम फैसला लिया है, जिसमें अगले महीने से वहां के सभी स्कूल खुल जाएंगे. इसके साथ ही सभी बच्चों को स्कूल आना भी जरूरी किया गया है. यदि कोई परिजन अपने बच्चों को नहीं भेजेंगे तो उनसे जुर्माना भी लगाने की बात कही गई है.