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वैज्ञानिकों का दावा-चीन ने लैब में बनाया कोरोना वायरस

दुनिया को धोखा देने के लिए की थी रेट्रो इंजीनियरिंग

नई दिल्ली/दि.२९ – कोरोना वायरस को लेकर चीन काफी समय से दुनिया के निशाने पर है. यह वायरस कैसे पैदा हुआ और कैसे इसने दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया, इसे लेकर अलग-अलग दावे हैं. अब एक स्टडी में सामने आया है कि चीन के वैज्ञानिकों ने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में कोविड-19 के वायरस को तैयार किया था. दावा है कि रेट्रो इंजीनियरिंग के जरिये चीनी वैज्ञानिकों ने दुनिया को ऐसा दिखाने की कोशिश की कि वायरस मानव निर्मित नहीं बल्कि चमगादड़ से आया है.
डेली मेल की खबर के मुताबिक, ब्रिटेन के प्रोफेसर एंगस डल्गलिश और नॉर्वे के वैज्ञानिक डॉ. बिर्गर सोरेनसेन ने दावा किया है कि उनके पास एक साल से भी अधिक वक्त से चीन में वायरस के रेट्रो इंजीनियरिंग के सबूत हैं. प्रोफेसर डल्गलिश लंदन में सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी में कैंसर विज्ञान के प्रोफेसर हैं. वहीं डॉ. सोरेनसेन एक वायरोलॉजिस्ट और इम्यूनोर कंपनी के अध्यक्ष हैं. उनकी कंपनी कोरोना की वैक्सीन तैयार करने में जुटी है.
स्टडी के मुताबिक, वुहान लैब में जानबूझकर डाटा को पहले छिपाया गया और फिर नष्ट करने का प्रयास किया गया. जिन वैज्ञानिकों ने इसे लेकर आवाज उठाई थी उन्हें या तो चुप करा दिया गया या फिर गायब कर दिया गया. उन्होंने बताया कि कोरोना सैंपल्स के अध्ययन के दौरान उन्होंने एक खास फिंगरप्रिटं को ढूंढा था. यह लैब में वायरस के साथ छेड़छाड़ के बाद ही संभव है.
डल्गलिश और सोरेनसेन का कहना है कि उन्होंने स्टडी के नतीजों को प्रकाशित कराना चाहा तो कई साइंटिफिक जर्नल ने मना कर दिया. गौरतलब है कि कोरोना वायरस की शुरुआत में माना गया था कि यह वायरस चमगादड़ों से मनुष्यों में फैला है. हालांकि बाद में बहुत से लोगों का यह मानना है कि वायरस को चीन के वुहान में स्थित प्रयोगशाला में बनाया गया था.

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