नई दिल्ली/दि.२७– डिफेंस सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज यहां हो रहे इस मंथन से जो परिणाम मिलेंगे उससे रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के हमारे प्रयासों को अवश्य बल मिलेगा, गति मिलेगी.
उन्होंने खुशी जतायी कि कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह(Rajnath Singh) इस कार्य के लिए पूरी तरह से मिशन मोड पर जुटे हुए हैं. उनके इन अथक प्रयासों के कारण अच्छे परिणाम मिलना निश्चित है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) ने कहा कि रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने, नई प्रौद्योगिकी के विकास और रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों को बड़ी भूमिका देने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं.
भारतीय रक्षा उद्योग को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से कुछ रक्षा उपकरणों पर आयात प्रतिबंध लगाया जाएगा. रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्म-निर्भर बनाने पर आयोजित कार्यक्रम में मोदी ने कहा, ”हमने हाल ही में श्रम सुधार भी देखे, सुधार की कवायद अब रुकेगी नहीं. पीएम मोदी ने कहा कि हमारा उद्देश्य है नई तकनीक का भारत में ही विकास हो. प्राइवेट सेक्टर का इस विशेष क्षेत्र में अधिक विस्तार हो. इसके लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया में सुधार, लेवल प्लेइंग फील्ड की तैयारी, एक्सपोर्ट प्रक्रिया का सरलीकरण, ऑब्सेट के प्रावधानों में सुधार जैसे अनेक कदम उठाए गए हैं. अब पहली बार डिफेंस सेक्टर में 74 प्रतिशत तक स्नष्ठढ्ढ ऑटोमैटिक रूट से आने का रास्ता खोला जा रहा है. ये नए भारत के आत्मविश्वास का परिणाम है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हम भारत को संपूर्ण विश्व के विकास में अधिक रचनात्मक योगदान देने के लिए आत्मनिर्भर होना चाहते हैं. आत्मनिर्भर होना एक राष्ट्रीय आवाहन है जिसे हमें एक राष्ट्रीय अभियान के रूप में बदलने का भी संकल्प लेना होगा. अनुमान के मुताबिक, भारतीय सशस्त्र बल अगले पांच वर्षों में 130 अरब डॉलर की खरीद करने वाले हैं. प्रथम सूची में (101 वस्तुओं की सूची में) टोएड आर्टिलरी बंदूकें, कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, क्रूज मिसाइलें, अपतटीय गश्ती जहाज, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणाली, अगली पीढ़ी के मिसाइल पोत, फ्लोटिंग डॉक, पनडुब्बी रोधी रॉकेट लांचर और समुद्री टोही विमान शामिल हैं.
इसमें बुनियादी प्रशिक्षण विमान, हल्के रॉकेट लांचर, मल्टी बैरल रॉकेट लांचर, मिसाइल डेस्ट्रॉयर, जहाजों के लिये सोनार प्रणाली, रॉकेट, दृश्यता की सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें अस्त्र-एमके 1, हल्की मशीन गन व आर्टिलरी गोला-बारूद (155 MM) और जहाजों पर लगने वाली मध्यम श्रेणी की बंदूकें भी शामिल हैं.