एशियाड पैरा खेल स्पर्धा में शीतल देवी ने रचा इतिहास
दिव्यांगता पर मात देकर जीते दो स्वर्ण पदक
* भारत शतक के करीब
हांगजोउ/दि.28– युवा तीरंदाज शीतल देवी ने शुक्रवार को एशियाई पैरा-खेल स्पर्धा में इतिहास रचा. पैरों से तीरंदाजी करने वाली शीतल ने शुक्रवार को और भी एक स्वर्ण पदक कमाया. इस स्पर्धा में उसका यह दूसरा स्वर्ण पदक है. पैरा एशियाड स्पर्धा में दो स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली शीतल पहली भारतीय महिला खिलाडी रही. जम्मू-कश्मीर के किश्तवार निवासी 16 वर्षीय शीतल ने इस स्पर्धा में मेडल प्राप्त कर हैट्रीक बनाई. शीतल दोनों हाथों से दिव्यांग है. इसलिए वह पैरों से अपना लक्ष्य भेद कर जीत हासिल करती है. शीतल ने अंतिम राउंड में सिंगापुर की अलिम नूर सयाहिदाह को पराजित किया. गुरुवार को कम्पाउंड मिश्र ग्रुप में राकेश कुमार की मदद से उसने स्वर्ण पदक प्राप्त किया था. इसके पूर्व शीतल ने महिला डबल्स में रजत पदक कमाया है.
* जन्मजात दुर्लभ बीमारी
शीतल को जन्म से ही फोकोमेलिया यह जन्मजात बीमारी है. इसमें अंग पूरी तरह से विकसित नहीं होता. भारतीय सेना दल ने 2021 में किश्तवार में युवा तीरंदाजी स्पर्धा ली थी. इस स्पर्धा में सहभागी होकर शीतल ने अधिकारियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. इसके बाद उसे कृत्रिम हाथ लगाने का प्रयास हुआ. लेकिन उसके वह हाथ फीट नहीं हुए. जिससे उसे लग रहा था कि, कहीं खेल जगत में उसका प्रवेश का सपना टूट न जाएं. लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी. उसके फिजिओथेरेपिस्ट श्रीकांत अय्यंगार ने उसपर मेहनत ली. जिसके बाद शीतल देवी ने खेल जगत में शानदार सफलता प्राप्त की.