राज्यसभा से विदा लेते हुए गुलाम नबी आज़ाद हुए भावुक
फख़्र होता है कि हम हिंदुस्तानी मुसलमान हैं
नई दिल्ली/दि.९ – राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद का कार्यकाल जल्द ही खत्म हो रहा है.मंगलवार को इस मौके पर संसद के बजट सत्र के दौरान सदन में काफी भावुक माहौल रहा, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में 2006 में श्रीनगर आतंकी हमले के दौरान की घटनाओं को याद करके और नबी आज़ाद के साथ अपनी मित्रता को लेकर भावुक हो गए. उस घटना को लेकर कांग्रेस नेता ने भी अपने अनुभव याद किए और भावुक नजर आए.
उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का फख्र है कि वो हिंदुस्तानी मुसलमान हैं. कांग्रेस नेता ने कहा, मैं उन खुशकिस्मत लोगों में हूं जो पाकिस्तान कभी नहीं गए जब मैं पाकिस्तान के बारे में पढ़ता हूं, वहां जो आज हालात हैं. मुझे गौरव और फक्र महसूस होता है कि हम हिंदुस्तानी मुसलमान हैं. आज विश्व में अगर किसी मुसलमान को गर्व होना चाहिए तो वह हिंदुस्तान के मुसलमान को गर्व होना चाहिए.
गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में पीएम के संबोधन में अपने लिए की गई टिप्पणियों पर कहा कि प्रधानमंत्री ने जिस तरह भावुक होकर मेरे बारे में कुछ शब्द कहे मैं सोच में पड़ गया कि क्या कहूं. पीएम ने 2006 के श्रीनगर आतंकी हमले के दौरान उनके साथ काम करने के अनुभवों को याद किया था और इस दौरान वो भावुक हो गए थे.
2006 में श्रीनगर में हुए आतंकी हमले में गुजरात के कई पर्यटक मारे गए थे, उस वक्त की घटनाओं को याद करते हुए नबी आज़ाद ने बताया कि हमले के बाद जब मैं एयरपोर्ट पहुंचा तो जो छोटे-छोटे बच्चे थे वहां, जिन्होंने अपने माता-पिता को खोया था, वो मेरी टांगों से लिपट कर रोने लगे. मैं भी रोया. मैं कैसे उनकी लाशों को विदा करने गया था जो कश्मीर घूमने आए थे.
दरअसल, पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि गुलाम नबी जी जब मुख्यमंत्री थे, तो मैं भी एक राज्य का मुख्यमंत्री था. हमारी बहुत गहरी निकटता रही. एक बार गुजरात के कुछ यात्रियों पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया, 8 लोग उसमें मारे गए. सबसे पहले गुलाम नबी जी का मुझे फोन आया. उनके आंसू रुक नहीं रहे थे. उस समय प्रणब मुखर्जी जी रक्षा मंत्री थे. मैंने उनसे कहा कि अगर मृतक शरीरों को लाने के लिए सेना का हवाई जहाज मिल जाए तो उन्होंने कहा कि चिंता मत करिए मैं करता हूं व्यवस्था. लेकिन गुलाम नबी जी उस रात को एयरपोर्ट पर थे, उन्होंने मुझे फोन किया और जैसे अपने परिवार के सदस्य की चिंता करें, वैसी चिंता वो कर रहे थे.