नई दिल्ली/दि.२५– पूर्वी लद्दाख में (India-China at Eastern Ladhak) लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (Line Of Actual Control) से सटे इलाकों में चीनी हेलिकॉप्टरों की हरकतों के मद्देनजर भारत ने पड़ोसी के किसी भी हिमाकत को मुंहतोड़ जवाब देने की पूरी तैयारी कर ली है. एलएसी से सटे ऊंचाई वाले अहम इलाकों पर भारत ने शोल्डर-फायर्ड एयर डिफेंस मिसाइल (Troops With Shoulder-Fired Air Defense System) से लैस जवानों को तैनात किया है. इस मिसाइल को जवान कंधों पर रखकर फायर कर सकते हैं और वायु सीमा का उल्लंघन करने वाले दुश्मन के हेलिकॉप्टर, फाइटर जेट्स या ड्रोन्स को मार गिरा सकते हैं.
सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायु सीमा के उल्लंघन की कोशिश करने वाले दुश्मन के एयरक्राफ्ट्स से निपटने के लिए रूस के इग्ला एयर डिफेंस सिस्टम से लैस भारतीय जवानों को सीमा पर ऊंचाई वाले अहम इलाकों में तैनात किया गया है. रूसी मूल के इस एयर डिफेंस सिस्टम को इंडियन आर्मी के साथ-साथ एयर फोर्स भी इस्तेमाल करती है. शोल्डर-फायर्ड एयर डिफेंस मिसाइल से लैस जवानों की तैनाती के अलावा भारत ने एलएसी के नजदीक दुश्मन की हवाई गतिविधियों पर नजर रखने के लिए रेडार तैनात किए हैं. साथ ही सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को भी लगाया गया है. पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी और पट्रोलिंग पॉइंट 14 समेत तनातनी वाले इलाकों में चीनी हेलिकॉप्टरों ने भारतीय क्षेत्र के भीतर आने की कोशिश की थी.
चीन की किसी भी चालबाजी को नाकाम करने के लिए भारत ने मुकम्मल तैयारी कर रखी है. इंडियन एयर फोर्स ने पूर्वी लद्दाख इलाके में मई के पहले हफ्ते में ही शोल्डर-फायर्ड एयर डिफेंस मिसाइल को तैनात कर दिया था ताकि चीनी हेलिकॉप्टरों की एयर स्पेस उल्लंघन की किसी भी कोशिश को नाकाम किया जा सके. भारत चीन के उन एयरबेसों पर पैनी नजर रख रहा है जहां हाल के दिनों में काफी हलचल दिख रही है. शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्र में चीनी एयर फोर्स के होटन, गर गुन्सा, काशगर, होपिंग, कोंका जोंग, लिंजी और पंगत एयरबेस बहुत ही ज्यादा ऐक्टिव हैं. चाइनीज पीपल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) ने हाल के दिनों में इनमें से कुछ एयरबेसों को अपग्रेड किया है. इनमें पक्के शेल्टरों के निर्माण के साथ-साथ रनवे की लंबाई को बढ़ाने और ज्यादा जवानों की तैनाती जैसे कदम शामिल हैं. चीन का लिंजी एयरबेस भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के उस पार है और वह मुख्य तौर पर एक हेलिकॉप्टर बेस है. बीते कुछ समय से चीन ने सीमा पर अपनी निगरानी क्षमता को बढ़ाते हुए हेलिपैड्स के एक नेटवर्क को भी तैयार किया है.