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दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों को देना होगा वार्षिक-विकास शुल्क

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से किया इनकार

नई दिल्ली/दि.29 – दिल्ली के सभी निजी और गैर अनुदान प्राप्त स्कूलों के बच्चों को ऑनलाइन पढाई के बावजूद वार्षिक और विकास शुल्क देना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशों में दखल देने से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के आदेश का रद्द कर दिया था. सरकारी आदेश में स्कूलों को छात्रों से वार्षिक और विकास शुल्क नहीं लेने को कहा गया था. जस्टिस एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने दिल्ली सरकार की याचिका खारिज कर दी. जस्टिस खानविलकर ने कहा कि, हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका अभी वहीं डिवीजन बेंच में लंबित है.
दिल्ली सरकार ने अपनी आपत्तियां वहां दर्ज कराई हैं. ऐसे में वे फिलहाल इस मामले में दखल नहीं देगे. दिल्ली सरकार ने प्रदेश के सभी निजी और गैर अनुदान प्राप्त स्कूलों को दो अलग-अलग निर्देश जारी किए थे. इनमें कहा गया था कि कोरोना महामारी में जब सभी बच्चों की कक्षाएं ऑनलाइल चल रही हैं तो वे छात्रों से केवल स्कूल फीस ही ले सकेंगे. वार्षिक और विकास शुल्क नहीं लेंगे.

  • हाईकोर्ट ने कहा था, दखल देने का हक नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि, प्रदेश सरकार के निर्णय से स्कूलों का कामकाज प्रभावित होगा. शिक्षा निदेशालय को निजी स्कूलों की फीस तय करने या उसमेें दखल देने का अधिकार नहीं है. अदालत तब तक इस मामले में दखल नहीं दे सकती, जब तक यह साबित न हो कि स्कूल प्रबंधन मुनाफाखोरी कर रहा है. लिहाजा, सभी छात्र 10 जून से छह किस्तों में वार्षिक और विकास शुल्क जमा कराएं.

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