एससी/एसटी आरक्षण में बनेंगे उपविभाग
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आरक्षण लाभ से वंचित उपजातियों को मिलेगा लाभ
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सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय खंडपीठ ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला
नई दिल्ली/दि.२७- सर्वोच्च न्यायालय(Supreme Court) के पांच सदस्यीय न्यायमूर्तियों की खंडपीठ ने गुरूवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि, राज्यों में आरक्षण हेतु अनुसूचित जाति व जमाति (SC/ST) के लिए आरक्षित सीटोें पर उपविभाग करते हुए आरक्षण दिया जा सकता है. एससी/एसटी आरक्षण अंतर्गत कुछ विशिष्ट जातियों के व्यक्तियों को अन्यों की तुलना में आरक्षण में अधिक प्राधान्य देने की दृष्टि से सर्वोच्च न्यायालय ने यह मत व्यक्त किया है. इससे पहले वर्ष २००४ में ई. वी. चिनय्या विरूध्द आंध्रप्रदेश सरकार के मामले में सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने आरक्षित सीटों में उपविभाग करते हुए आरक्षण नहीं किये जाने का निर्णय दिया था. जिसके चलते यह मामला पांच सदस्यीय खंडपीठ को सुनवाई हेतु दिया गया. न्या. अरूण मिश्रा की अध्यक्षता तथा न्या. इंदिरा बैनर्जी, न्या. विनीत तरण, न्या. एम. आर. शाह व न्या. अनिरूध्द बोस का समावेश रहनेवाली इस खंडपीठ ने एससी/एसटी आरक्षण अंतर्गत उपजातियों के लिए विशेष कोटा लागू करने पर सहमति दर्शाते हुए कहा कि, इस तरह से वर्गीकरण करने पर संविधान के अनुच्छेद ३४१ अंतर्गत राष्ट्रपति के आदेश में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती. साथ ही राज्यों के पास आरक्षण देने का अधिकार है, और जिन्हे अब तक आरक्षण का लाभ नहीं मिला, अब उन्हें इस व्यवस्था के तहत आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए. साथ ही इस खंडपीठ के न्यायमूर्तियों ने वर्ष २००४ के निर्णय पर पुनर्विचार करने की जरूरत प्रतिपादित करते हुए इसे अंतिम निर्णय हेतु सात सदस्यीय बडी खंडपीठ के पास भेजने पर भी अपनी सहमति दर्शायी.