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मुहर्रम जुलूस निकालने की सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी इजाजत

  • २९ को मनाया जाएगा मुहर्रम

  • कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए फैसला

नई दिल्ली/दि.२७– पूरे देश में मुहर्रम पर जुलूस निकालने की परंपरा है. जिसके चलते शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद (Kalbe Jawad) ने पूरे देश में मुहर्रम जुलूस निकालने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मुहर्रम जुलूस निकालने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ तौर पर स्पष्ट कर दिया है कि कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ते जा रहा है. इसीलिए जुलूस निकालना मुनासिब नहीं होगा.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि सामान्य आदेश की अनुमति अराजकता पैदा कर सकती है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक विशेष समुदाय को कोविड को फैलाने के लिए लक्षित किया जाएगा. हम उन आदेशों को पारित नहीं करेंगे, जो इतने लोगों के स्वास्थ्य को जोखिम में डाल सकते हैं.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मुहर्रम के जुलूस के लिए कोई चिन्हित स्थान नहीं होता है, जहां प्रतिबंध और सावधानी बरती जा सकती है. बेंच ने कहा कि आप इस समुदाय के लिए पूरे देश के लिए अस्पष्ट निर्देश मांग रहे हैं.
पीठ ने वकील द्वारा शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद के तर्क को भी खारिज कर दिया, जिन्होंने बताया था कि जगन्नाथ पुरी मंदिर में रथ यात्रा की अनुमति दी गई थी. अदालत ने कहा कि जगन्नाथ पुरी मामला एक विशिष्ट स्थान का था, जहां रथ को बिंदु ए से बी तक जाना था. अगर यहां भी एक विशिष्ट स्थान होता तो हम खतरे का आकलन कर सकते थे और आदेश पारित कर सकते थे. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सीमित संख्या में लोगों के साथ एक चिन्हित क्षेत्र में जुलूस निकालने की अनुमति के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा है. मुहर्रम इस साल 29 अगस्त यानी शनिवार को मनाया जाना है.

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