नई दिल्ली/दि.6 – एससी/एसटी एक्ट यानी एट्रोसिटी कानून को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. जिसमें कहा गया कि, अनुसूचित जाति या जमाति के किसी भी व्यक्ति के खिलाफ चार दीवारी के भीतर कुछ अपमानास्पद कहे जाने और जिस बात के कोई गवाह नहीं है, उसे अपराध नहीं माना जा सकता. इस निर्णय के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिकाकर्ता के खिलाफ एट्रोसिटी अंतर्गत दायर किये गये अपराध को खारिज करने का भी आदेश दिया है.
उत्तराखंड से संबंधित इस मामले में एक महिला ने हितेश वर्मा नामक व्यक्ति के घर में जाकर अपमानास्पद भाषा का प्रयोग किया था. जिसके शिकायत के आधार पर पुलिस ने संबंधित व्यक्ति के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया था. जिस पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि, एट्रोसिटी एक्ट में हर तरह के अपमान अथवा धमकी का अंर्तभाव नहीं होता, बल्कि जिसमें पीडित व्यक्ति को समाज के सामने अपमान, शोषण और तकलीफ का सामना करना पडा हो. ऐसी घटनाओं को ही इस कानून में शामिल किया जाता है. इस कानून के तहत अपराध दर्ज करने हेतु पीडित व आरोपी के अलावा वहां पर कियी अन्य व्यक्ति का भी रहना जरूरी है. जो इस अपराध के बारे में गवाही दे सके.