चेन्नई/दि. 2 – कोरोना महामारी की वजह से पिछले एक साल में दो बार लॉकडाउन लग चुका है. इस दौरान कई मालिक ऐसे थे, जिन्होंने अपने यहां काम करने वाले कामगारों और मजदूरों को बेसहारा छोड़ दिया और काम बंद होने के बाद उन्हें पूछने तक नहीं गए. कई मामलों में तो रिश्तेदारों ने भी मुश्किल वक्त में अपनों से दूरी बना ली. इस बीच चेन्नई से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसकी चर्चा देशभर में हो रही है.
दरअसल यूपी के बुलंदशहर के अहमदगढ़ थाना क्षेत्र के गांव डोमला हसनपुर निवासी राकेश चेन्नई में एक हलवाई की दुकान पर नौकरी करते थे. फरवरी में जब वो चेन्नई लौटे तो फिर से उसी दुकान पर काम करना शुरू कर दिया। अभी तीन दिन पहले यानी रविवार को उनकी तबीयत अचानक खराब हुई. आनन-फानन में उनके दोस्तों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया. वहां डॉक्टरों ने काफी कोशिश की लेकिन राकेश को बचाया नहीं जा सका.
राकेश बेहद ही गरीब परिवार के थे, ऐसे में उनके परिवार के लिए लॉकडाउन में बुलंदशहर से चेन्नई जाना और फिर शव को वापस गांव लाना मुश्किल था. इस मुश्किल वक्त में भी राकेश के मालिक ने उनके परिवार का साथ नहीं छोड़ा. खबर मिलते ही उन्होंने तुरंत शव का पोस्टमार्टम करवाया. इसके बाद उसे एक निजी एयरलाइन्स के जरिए 2200 किलोमीटर दूर दिल्ली भिजवाने का इंतजाम किया. शव के साथ ही उन्होंने राकेश के गांव के दो लोगों का टिकट करवाकर साथ भेजा, लेकिन दिल्ली से बुलंदशहर तक शव को लाना भी बड़ी चुनौती थी। ऐसे में जिला पंचायत सदस्य अमन चौधरी ने गरीब परिवार की मदद को हाथ बढ़ाया. अमन के मुताबिक चेन्नई से उड़ान भरने के बाद मौसम खराब हो गया, जिस वजह से विमान से संपर्क टूट गय. हालांकि कुछ देर बाद उसकी जयपुर में लैंडिंग हुई. बाद में जब मौसम साफ हुआ तो वो जयपुर से दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचा। अमन ने वहां पर एक एंबुलेंस की व्यवस्था कर रखी थी. जिसके जरिए शव को गांव तक पहुंचाया गया। स्थानीय लोगों के मुताबिक राकेश के पिता और भाई मजदूरी का काम करते हैं और घर की हालत भी बहुत खराब है. ऐसे में सभी राकेश के मालिक की तारीफ कर रहे कि उन्होंने मुश्किल वक्त में इंसानियत की मिसाल पेश की है.