ड्राई स्वेब तकनीक से 300 फीसदी तेज हो सकेगी कोरोना जांच
कम खर्च में आएगी ज्यादा सटीक रिपोर्ट
नई दिल्ली/ दि. 30 – कोरोना को कंट्रोल करने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि जिसे संक्रमण हुआ है, उसकी पहचान करके उसे अलग किया जाए, जिससे बाकी लोग उससे संक्रमित ना हों. ऐसा करने के लिए सबसे जरूरी है टेस्टिंग. अब टेस्टिंग को तेज और सस्ता बनाने वाला एक नया तरीका खोजा गया है. इसमें ड्राई स्वेब की मदद से कोरोना का टेस्ट (Dry Swab Corona Test) होता है.
सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलोजी (CCMB) ने यह टेस्ट का नया तरीका खोजा है. CCMB के डायरेक्टर राकेश मिश्रा ने शुक्रवार को कोविड-19 की टेस्टिंग के लिए सैंपल लेने के इस नए तरीके के बारे में बताया.
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किस तरह काम करता है ड्राई स्वेब कोरोना टेस्ट
ड्राई स्वेब तकनीक पहले से इस्तेमाल हो रही तकीनकों के मुकाबले सस्ती, सुरक्षित, तेज और ज्यादा सही नतीजे देने वाली है. यह भी दावा किया कि इस तकनीक की मदद से टेस्ट करने की स्पीड में 300 फीसदी (रोजाना के हिसाब से) की बढ़ोतरी होने के चांस हैं.
अभी जिस स्वेब टेस्टिंग से टेस्ट होता है उसमें नीसोफरेंजल स्वेब का इस्तेमाल होता है. इसमें सैंपल लेकर उसे किसी ट्यूब या फिर कंटेनर में रख दिया जाता है, जिसमें गुलाबी रंग का तरल पदार्थ होता है, जिसे वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम कहते हैं. इसे ही आगे टेस्टिंग के लिए लैब भेजा जाता है.
उन्होंने कहा कि मौजूदा तरीके में कुछ कमियां हैं और इसमें 200-300 सैंपल ट्यूब को अनसील करने में 2 से 3 घंटे का वक्त लग जाता है. फिर RNA एक्सट्रेक्शन का काम भी महंगा और टाइम लेने वाला है.
नई तकनीक में स्वेब को वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम वाले कंटेनर में रखने की वजह सूखे कंटेनर में रखा जाएगा और आगे लैब को भेज दिया जाएगा. इससे वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम के पैसे बचेंगे जो कि अपने आप में काफी महंगा आता है. साथ ही साथ टाइम की भी बचत होगी.