नई दिल्ली/दि.२०– देश के 50 करोड़ संगठित और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों और कामकाजी लोगों के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. मोदी सरकार ने 44 श्रम कानूनों में बड़ा बदलाव करते हुए सिर्फ 4 श्रम कोड बनाए हैं. इसके साथ ही सरकार ने 12 कानूनों को रद्द करते हुए पुराने 44 में से 3 कानूनों को नए श्रम कोड में शामिल किया है. यानी 29 की बजाय अब सिर्फ 4 श्रम कानून लागू होंगे. इनमें राष्ट्रीय स्तर पर न्यूनतम वेतन तय किया जाएगा, राष्ट्रीय फ्लोर लेवल वेतन मिलेगा, भारत सरकार एक परिषद का गठन करेगी जो प्रतिवर्ष न्यूनतम सैलरी का आकलन करेगी, वेतन का निर्धारण भौगोलिक स्थिति और स्किल के आधार पर होगा, 15 हजार रुपये न्यूनतम वेतन फिक्स करने की संभावना, कंपनियों को वेतन समय पर देना होगा, महीने की 7-10 तारीख तक कर्मचारी को वेतन हर हाल में देना होगा, पुरुष और महिला को समान वेतन मिलेगा.
1. काम करने के लिए सुरक्षित वातावरण.
2. कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर ध्यान रखना होगा.
3. कंपनियों को कैंटीन और क्रेच सुविधा मुहैया कराना अनिवार्य होगा.
4. पांच या उससे ज्यादा संस्थाएं मिलकर Group Pooling Canteen चला सकती हैं.
5. हर मजदूर, कर्मचारी को नियुक्त पत्र देना अनिवार्य होगा.
6. अगर किसी मजदूर या कर्मचारी की हादसे में मौत हो जाती है तो मुआवजे के अतिरिक्त जुर्माने की 50त्न तक की राशि कंपनी कर्मचारी को भी देगी.
7. प्रवासी मजदूर को हर साल एक बार घर जाने के लिए प्रवासी भत्ता कंपनी देगी.
8. प्रवासी मजदूर जहां काम करेगा वहीं राशन मिलेगा.
9. प्रवासी श्रमिकों का एक नेशनल डाटा बेस बनाया जाएगा.
10. 240 दिनों की बजाय अब 180 दिन काम करने पर कर्मचारी Earn Leave का हकदार होगा.
11. महिलाओं को सभी क्षेत्रों में काम करने की इजाजत होगी.
12. Inspector का नाम बदलकर Fecilitator किया जाएगा.
13. OSH कोड की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है, अब मीडिया, इलैक्ट्रॉनिक मीडिया, डिजिटल मीडिया में काम करने वाले पत्रकारों को वर्किंग जर्नलिस्ट की श्रेणी में रखा गया है.
14. लगभग 45 वर्ष के ऊपर के कर्मचारी को एक बार Free Health Check Up कंपनी की तरफ से मुहैया कराना अनिवार्य होगा.
1. ट्रेड यूनियन को केन्द्र, राज्य एवं संस्थान स्तर पर कानूनी मान्यता मिलेगी.
2. शिकायत निवारण कमेटी में सदस्यों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 की जाएगी. 5 सदस्य ट्रेड यूनियन और 5 सदस्य संस्थान के होंगे.
3. वर्कर की परिभाषा वेतन के आधार पर तय की जाएगी. 18,000 रुपये तक वेतन पाने वाले कर्मचारी वर्कर की श्रेणी में आएंगे.
4. लेबर ट्रिब्यूनल में अब तक सिर्फ एक जज होते हैं. अब एक और प्रशासनिक सदस्य बनाया जाएगा, ताकि समस्याओं का समाधान जल्द हो सके.
5. Fixed Term Employment को मान्यता, अब श्रमिकों को ठेका मजदूरी के स्थान पर Fi&ed Term Employment का विकल्प मिलेगा. यानी अब उन्हें Regular Employee के समान काम के घंटे, वेतन वा सामाजिक सुरक्षा मिलेगी.
6. अगर किसी कर्मचारी को कंपनी से कोई विवाद है तो अब वो 3 साल की बजाय सिर्फ 2 साल की समय सीमा के अंदर की शिकायत दर्ज करा सकता है.
7. घरेलू वर्कर को औद्योगिक वर्कर की श्रेणी से बाहर रखा गया है.
8. अगर किसी कंपनी ने कर्मचारी को नौकरी से निकाल दिया तो उसे Reskilling Fund देना होगा. Reskilling फंड कर्मचारी का 15 दिन का वेतन होगा और कंपनी इस फंड को 45 दिन के अंदर कर्मचारी को हरहाल में देगी.
9. ट्रेड यूनियन को हड़ताल से 14 दिन पहले नोटिस देना होगा.
10. 300 कर्मचारी वाली कंपनियां बिना सरकारी अप्रूवल के बंद हो सकती हैं, पहले यह नियम सिर्फ 100 कर्मचारी वाली कंपनियों पर ही लागू था.
1. ESIC का विस्तार किया जाएगा
2. देश के 740 जिलों में ESIC की सुविधा होगी, अभी ये सुविधा फिलहाल 566 जिलों में ही है.
3. खतरनाक क्षेत्र में काम कर रहे संस्थानों को अनिवार्य रूप से ESIC से जोड़ा जाएगा, चाहे 1 ही श्रमिक काम क्यों ना करता हो.
4. पहली बार 40 करोड़ असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों को ESIC से जोड़ा जाएगा.
5. बागान श्रमिक भी ESI के दायरे में आएंगे.
6. दस कम श्रमिक वाले संस्थानों को भी स्वेच्छा से ESI का सदस्य बनने का विकल्प होगा.
7. बीस से अधिक श्रमिकों वाले संस्थान EPFO की कवरेज में आएंगे.
8. असंगठित क्षेत्र के स्वरोजगार से जुड़े श्रमिकों को भी EPFO में लाने की योजना बनाई जाएगी.
9. कांट्रेक्ट पर काम करने वाला कर्मचारी को भी ग्रेच्यूटी का लाभ मिलेगा, इसके लिए न्यूनतम कार्यकाल की बाध्यता नहीं होगी.
10. असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का राष्ट्रीय डाटा बेस बनाया जाएगा, जहां पर सेल्फ रजिस्ट्रेशन करना होगा.
11. जिस भी कंपनी में 20 से अधिक श्रमिक काम कर रहे हैं. उस संस्थान को रिक्त पदों की जानकारी Online Portal पर देनी अनिवार्य होगी.