वो FIR जिसमें ‘मौत’ पर भी धारा ‘जानलेवा हमले’ की
अंतिम रिपोर्ट अक्सर ‘UNTRESS’ की ही लगती है!
नई दिल्ली/दि. 15 – अपराध की दुनिया और संसार के किसी भी देश के कानून की किताब पर नजर डालिए तो इंसान की तरफ से इंसान को मार दिए जाने के मामले में अधिकांशत: हत्या की ही धारा 302 (कत्ल) के तहत मुकदमा (FIR) दर्ज किया जाता है. कत्ल के मामले में धारा 302 के बाद जो और सबसे भारी-भरकम सजा दिलाने वाली धारा है 304 यानी गैर-इरादतन हत्या की धारा. उसके बाद कानून के दृष्टिकोण से और बड़ी सजा वाली धारा के बतौर जिस कानूनी धारा का अक्सर नाम लिया जाता है वो होती है 308 या फिर 307 (हत्या या जानलेवा हमले की कोशिश). मतलब साफ है कि जब भी सोची समझी रणनीति (प्लानिंग) के तहत किसी को मारा जाएगा या मारा जाता है, तब-तब उन मामलों में सीधे-सीधे हत्या यानी कत्ल की धारा 302 ही अमल में लाई जाती है, जिसमें फांसी से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्राविधान होता है. आज मैं मगर आपसे जरायम और कानून की दुनिया से जुड़ी उस जानकारी को साझा कर रहा हूं जिसमें, आम इंसान की नजर में इंसान की तरफ से इंसान मारा तो जाता है. अमूमन मगर इन मामलों में घटना के तत्काल बाद कभी भी सीधे-सीधे कत्ल यानी धारा-302 का इस्तेमाल दर्ज होने वाले मुकदमे की एफआईआर में कभी नहीं किया जाता है.
ऐसे मामले में हमेशा घटना के शुरुआती दौर में सबसे पहले धारा-307 यानी जानलेवा हमले की धारा मुकदमा दर्ज किए जाने के वक्त लगाई जाती है. इतना ही नहीं जिस तरह के मौत के मामले का जिक्र मैं कर रहा हूं, उस प्रकार के मामलों में अधिकांशत: केस की तफ्तीश होने पर अंतिम रिपोर्ट (FR यानी FINAL REPORT) भी कोर्ट-कचहरी-कानूनी दस्तावेजों में UNTRESS की ही लगाई जाती है. दरअसल ये तमाम मामले वो होते हैं, जिनमें पुलिस और अपराधी के बीच आमने-सामने की मुठभेड़ होती हैं. जब कभी भी पुलिस और बदमाशों का आमना-सामना होने पर गोलियां चलती हैं. उस दौरान जब भी कोई अपराधी मौके पर ही पुलिस की गोलियों से मारा जाता है, तो उसे कभी भी कानून की नजर से प्रथम दृष्टया कत्ल की श्रेणी में नहीं गिना जाता है, क्योंकि कानून की नजर में एनकाउंटर किसी सोची समझी रणनीति या किसी सुनियोजित आपराधिक षडयंत्र का सा कतई नहीं होता है. यही अक्सर पुलिस एनकाउंटर के बाद की कहानियों के मुताबिक देखने-सुनने में आता है कि पुलिस पार्टी और बदमाशों का आमना सामना हुआ था. पुलिस ने बदमाशों या बदमाश को रोकने का इशारा किया, जवाब में दूसरी ओर से (अपराधी की तरफ से) गोलियां चलने लगीं