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जजों के लिए फाइव स्टार होटल में 100 बेडों की सुविधा कभी नहीं मांगी

दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले पर स्वत: लिया संज्ञान

नई दिल्ली/दि.२७ – दिल्ली हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट के जजों के लिए अशोक होटल के कमरों के मामले पर स्वतर्‍ संज्ञान लिया है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि न्यायाधीशों के लिए कभी भी पांच सितारा होटल में 100 बिस्तरों की सुविधा नहीं मांगी गई. हाईकोर्ट ने कहा कि हमने प्रेस में खबरों को पढ़ा है. हमने कोई भी आग्रह नहीं किया था. हाईकोर्ट ने कहा कि आप कल्पना कीजिए यह हम कैसे कह सकते हैं. लोगों को अस्पताल नहीं मिल रहे और हम आपसे लग्जरी होटल में बेड मांग रहे हैं? मीडिया गलत नहीं है, आपका आर्डर गलत है. आप किसी एक श्रेणी के लिए सुविधा कैसे दे सकते हैं. दिल्ली सरकार जवाब दाखिल करे. हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. सरकार ने कहा है कि इसके पीछे कोई दुर्भावना नहीं थी. हाईकोर्ट ने कहा कि अच्छा होगा कि आप ये आदेश तुरंत वापस लें. सरकार ने कहा कि हम तुरंत वापस लेंगे. हाईकोर्ट ने कहा कि ये बात सोच से बाहर है कि हम एक संस्थान के तौर पर सुविधा मांगेंगे. इस मामले की गुरुवार को सुनवाई होगी.
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से ऑक्सीजन के अभाव में जान गंवाने वाले मरीजों का ब्योरा मांगा है. हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार चार दिनों के भीतर मरीजों के नाम, वार्ड / कमरे, मौत का समय और कारण सारणीबद्ध तरीके से हलफनामे में दे. हाईकोर्ट ने कहा कि हमें उन्हें भी मुआवजा देना होगा, राज्य को देना होगा.
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि सभी फार्मेसियों से रेमडिसिविर, डेक्सामेथासोन और फेबीफ्लू की सप्लाई का रिकॉर्ड लें और औचक ऑडिट करें ताकि पता चले कि कोई कालाबाजारी हो रही है.

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