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पड़ोसी देश ने विस्तारवादी नीति को बढ़ाने का दुस्साहस किया

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा

नई दिल्ली/दि.१४- आज जब विश्व समुदाय के समक्ष आई सबसे बड़ी चुनौती से एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है, तब हमारे पड़ोसी ने अपनी विस्तारवादी गतिविधियों को चालाकी से अंजाम देने का दुस्साहस किया है. यह बीज भाषण राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने  राष्ट्र को संबोधित करते हुए दिया. राष्ट्रपति ने आज (शुक्रवार) को 74वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया.  राष्ट्रपति ने अपने बीज भाषण में कहा कि सीमाओं की रक्षा करते हुए, हमारे बहादुर जवानों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए. भारत माता के वे सपूत, राष्ट्र गौरव के लिए ही जिए और उसी के लिए मर मिटे. पूरा देश गलवान घाटी के बलिदानियों को नमन करता है. हर भारतवासी के हृदय में उनके परिवार के सदस्यों के प्रति कृतज्ञता का भाव है. उनके शौर्य ने यह दिखा दिया है कि यद्यपि हमारी आस्था शांति में है, फिर भी यदि कोई अशांति उत्पन्न करने की कोशिश करेगा तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा. हमें अपने सशस्त्र बलों, पुलिस तथा अर्धसैनिक बलों पर गर्व है जो सीमाओं की रक्षा करते हैं, और हमारी आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं.
रामनाथ कोविंद ने कहा कि 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश-विदेश में रह रहे सभी भारतीयों को बधाई. इस अवसर पर हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के बलिदान को कृतज्ञता के साथ याद करते हैं.
उन्होंने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि महात्मा गांधी हमारे स्वाधीनता आंदोलन के मार्गदर्शक रहे. उनके व्यक्तित्व में एक संत और राजनेता का जो समन्वय दिखाई देता है, वह भारत की मिट्टी में ही संभव था.
रामनाथ कोविंद ने कहा कि इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के उत्सवों में हमेशा की तरह धूम-धाम नहीं होगी. इसका कारण स्पष्ट है. पूरी दुनिया एक ऐसे घातक वायरस से जूझ रही है जिसने जन-जीवन को भारी क्षति पहुंचाई है और हर प्रकार की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न की है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि राष्ट्र उन सभी डॉक्टरों, नर्सों तथा अन्य स्वास्थ्य-कर्मियों का ऋणी है जो कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में अग्रिम पंक्ति के योद्धा रहे हैं. ये हमारे राष्ट्र के आदर्श सेवा-योद्धा हैं. इन कोरोना-योद्धाओं की जितनी भी सराहना की जाए, वह कम है. ये सभी योद्धा अपने कर्तव्य की सीमाओं से ऊपर उठकर, लोगों की जान बचाते हैं और आवश्यक सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं. राष्ट्रपति  ने कहा कि इसी दौरान, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में आए ‘अम्फानÓ चक्रवात ने भारी नुकसान पहुंचाया, जिससे हमारी चुनौतियां और बढ़ गयीं. इस आपदा के दौरान, जान-माल की क्षति को कम करने में आपदा प्रबंधन दलों, केंद्र और राज्यों की एजेंसियों तथा सजग नागरिकों के एकजुट प्रयासों से काफी मदद मिली. राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी परिवार को भूखा न रहना पड़े, इसके लिए जरूरतमन्द लोगों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है. इस अभियान से हर महीने, लगभग 80 करोड़ लोगों को राशन मिलना सुनिश्चित किया गया है.
अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा कि आप सभी देशवासी, इस वैश्विक महामारी का सामना करने में, जिस समझदारी और धैर्य का परिचय दे रहे हैं, उसकी सराहना पूरे विश्व में हो रही है. मुझे विश्?वास है कि आप सब इसी प्रकार, सतर्कता और जि़म्मेदारी बनाए रखेंगे. आप सबको, 74वें स्वाधीनता दिवस की बधाई देते हुए आप सभी के अच्छे स्वास्थ्य एवं सुन्दर भविष्य की कामना करता हूं. धन्यवाद, जय हिन्द.

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