नई दिल्ली/दि.18- पैजामा, पेंट और काले कोट का उदाहरण देते हुए केंद्रीय राष्ट्रीय महामार्ग व सडक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को ‘फिक्की’ के कार्यक्रम में देशभर में जारी प्रकल्पों के ठेके निश्चित करते समय तकनीकी और वित्तिय पात्रता के मानकों में की जानेवाली चालाकी पर मार्मिक भाष्य किया.
जो पैजामे की सिलाई कर सकता है, वह पेंट की भी कर सकता है. लेकिन रेलवे के लिए सुरंग करते है वह सडकों के लिए अपात्र साबित होते है और जो सडकों के लिए सुरंग करते है वह रेलवे के लिए अपात्र साबित होते है और यह दोनो जलविद्युत प्रकल्प के लिए अपात्र साबित होते है. इस भेदभाव को समाप्त करने के लिए समान नीति अपनानी चाहिए. पायाभूत प्रकल्प का खर्च बढाने के लिए तकनीकी व वित्तिय पात्रता का मानक ठहराते समय काफी चतुराई की जाती है. कौन पात्र और कौन अपात्र यह पहले तय किया जाता है. महाराष्ट्र में तो एक समय ऐसा था कि जो काला कोट पहनकर आएगा उसे ही ठेका मिलेगा. इतना ही पात्रता का मानक निश्चित करते समय लिखना शेष रहा था. यह मानक उदार रहने की आवश्यकता है, ऐेसे सुरंग निर्माण पर ‘फिक्की’ व्दारा आयोजित की गई परिषद में नितिन गडकरी ने कहा. देश भर से सुरंग और भुयारी मार्ग के काम काफी बडी मात्रा में शुरु है, ऐसा भी उन्होंने कहा.
* नए तकनीकी ज्ञान और प्रयोग को अनुमति दें
नया तकनीकी ज्ञान स्विकारने के लिए सरकारी स्तर पर ज्यादा उत्सुकता नहीं दिखाई जाती. मूलभूत सुविधा की निर्मिती करते समय अपने जोखिम पर नया प्रयोग करने के लिए नया तकनीकी ज्ञान लाने के इच्छुक ठेकेदारों को अनुमति देनी चाहिए, ऐसा अनुरोध भी नितिन गडकरी.