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अगस्त के अंत तक तीसरी लहर दे सकती है दस्तक

आइसीएमआर के संक्रामक रोग विशेषज्ञों ने चेताया

नई दिल्ली/दि. 17 – देश के जाने-माने संक्रामक रोग विशेषज्ञ का कहना है कि देश में अगस्त के अंत तक तीसरी दस्तक दे सकती है. उन्होंने प्रतिबंधों के पालन पर भी जोर दिया है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) में महामारी विज्ञान एवं संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डा. समीरन पांडा ने आगाह करते हुए यह भी कहा कि पहले की दोनों लहरों में जिन राज्यों में ज्यादा दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिला है, वहां तीसरे लहर में गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है.
उन्होंने कहा कि सभी राज्यों के लिए यह जरूरी है कि वो अपने यहां महामारी पर नजर रखें और कोरोना के हालात के मुताबिक कदम उठाएं. कुछ ऐसे राज्य हैं जहां पहली और दूसरी लहर में ज्यादा बुरा प्रभाव नहीं पड़ा है. परंतु, अगर प्रतिबंधों को बनाए नहीं रखा गया तो इन राज्यों में गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है.
डा. पांडा ने कहा कि तीसरी लहर कम आए और उसका प्रभाव कितना होगा यह कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसे अच्छी तरह से समझना जरूरी है. उन्होंने कहा कि दूसरी लहर अभी गई नहीं है, क्योंकि मामलों में उतार-चढ़ाव बना हुआ है. इसका जांच और रिपोर्टिग से कहीं न कहीं संबंध है. कुछ राज्यों में कोरोना संक्रमण के ज्यादा मामलों पर उन्होंने कहा कि महामारी क्षेत्र के हिसाब से अपना रूप बदल रही है. इसलिए इसे राष्ट्रीय स्तर पर नहीं लेकर, यह देखा जाना चाहिए कि अलग-अलग राज्यों में यह किस चरण में है.
वहीं नीति आयोग के सदस्‍य डॉ. वीके पाल ने कहा कि मौजूदा वक्‍त में इसे रोकना संभव नहीं होगा. दूसरी लहर के बावजूद देश में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो संक्रमण से बचे हुए हैं और वे आसानी से संक्रमण का शिकार हो सकते हैं. इसी तरह से भारत में अभी तक वैक्सीन भी उतनी मात्रा में नहीं लगी है कि संक्रमण के प्रति लोगों में हर्ड इम्युनिटी तैयार हो सके. उन्होंने अगले तीन-चार महीने को बेहद अहम बताया.

  • …तो रोकी जा सकती है तीसरी लहर

डॉ. पॉल ने कहा कि अगले तीन से चार महीने के दौरान यदि भारत बड़ी संख्या में लोगों का टीकाकरण करने में सफल रहता है तो तीसरी लहर को रोका जा सकता है या उसके दुष्प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है. बता दें कि डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में चेतावनी जारी की है कि दुनिया में तीसरी लहर की शुरुआत हो गई है। दुनिया के कई हिस्सों में हालात बद से बदतर हो गए हैं.

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