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पीडि़ता के परिजनों ने डीएम को टोका

लखनऊ/दि.१२हाथरस गैंगरेप कांड को लेकर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई. दो जजों की बेंच के सामने पीडि़ता के परिवार ने अपना पक्ष रखा. साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से भी कई अधिकारी अदालत में मौजूद रहे. हाईकोर्ट में आज की सुनवाई खत्म हो गई है.
हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी जताई है. इस मामले की सुनवाई 2 नवंबर को होगी. पीडि़ता के परिजनों ने कोर्ट में भी कहा कि अंतिम संस्कार उनकी सहमति के बिना रात के समय कर दिया गया. परिजनों ने यह भी कहा कि अंतिम संस्कार में हमें शामिल तक नहीं किया गया. परिजनों ने आगे जांच में फंसाए जाने की आशंका जताई और साथ ही सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई.
पीडि़त परिवार की ओर से अंतिम संस्कार को लेकर लगाए गए आरोप पर जिलाधिकारी (डीएम) कहा कि वहां काफी लोग जमा थे. कानून-व्यवस्था बिगडऩे की वजह से अंतिम संस्कार का फैसला लिया. डीएम के बयान के दौरान पीडि़ता के परिजनों ने टोकते हुए सवाल किया कि वहां भारी तादाद में पुलिस बल मौजूद था तो कानून व्यवस्था कैसे खराब होती?
अगली सुनवाई के दिन पीडि़ता के परिजनों के आरोप पर बहस होगी. अदालत की ओर से इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया गया था, जिसमें परिवार और सरकार का पक्ष पूछा गया था. गौरतलब है कि इस मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी 15 अक्टूबर को सुनवाई होनी है.
पिछली सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी सरकार से तीन सवाल पूछे थे. कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा था कि पीडि़त परिवार और गवाहों की सुरक्षा के क्या इंतजाम किए गए हैं? क्या पीडि़त परिवार के पास पैरवी के लिए कोई वकील है? इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमे की क्या स्थिति है? यूपी सरकार की ओर से पैरवी करते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा था कि वे इन सवालों के जवाब 8 अक्टूबर तक दे देंगे. 8 अक्टूबर की तिथि को गुजरे चार दिन हो गए, लेकिन यपी सरकार कोर्ट के सवालों के जवाब अब तक नहीं दे पाई है.
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 1 अक्टूबर को घटना पर स्वत: संज्ञान लिया था. हाई कोर्ट के दखल के बाद योगी सरकार हरकत में आई और परिवार को सुरक्षा का पहरा दिया गया. परिवार की सुरक्षा में करीब 60 पुलिसवालों की तैनाती की गई और घर के आसपास सीसीटीवी कैमरों का घेरा लगाया गया. इसके साथ ही घर आने-जाने वाले हर शख्स पर कड़ी नजर रखी गई. हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुनवाई के दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह, डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार के अलावा हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार और एसपी रहे विक्रांत वीर को तलब किया है. हाथरस कांड में जिस तरह से पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठे हैं, उससे साफ है कि हाथरस पुलिस और योगी सरकार को अदालत में कई तरह के कड़े सवालों का सामना करना होगा.
सीबीआई ने दर्ज किया केस
इस पूरे मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने केस दर्ज किया है. साथ ही सीबीआई ने इस मामले में अपनी जांच पड़ताल शुरू कर दी है. सीबीआई ने उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर मामला दर्ज किया है. जांच एजेंसी ने इस सिलसिले में एक टीम गठित की है.
सीबीआई में हाथरस मामले की जांच ग़ाजिय़ाबाद सीबीआई यूनिट में तैनात डीएसपी सीमा पाहुजा करेंगी. सीमा पाहुजा एक तेज तर्रार महिला अफसर हैं जो हिमाचल प्रदेश के गुडिय़ा मामले की जांच भी कर चुकी हैं. उन्हें बेहतरीन जांच के लिए पुलिस पदक से लेकर कई सम्मान मिल चुके हैं.
हाथरस कांड की जांच अभी तक एसआईटी कर रही थी. 14 सितंबर का सच जानने के लिए एसआईटी ने जब जांच शुरू की तो उसके निशाने पर गांव के 40 लोग थे. गांव के इन 40 लोगों से पूछताछ हो चुकी है. ये 40 लोग वे हैं, जो 14 सितंबर को आसपास के खेतों में काम कर रहे थे. इनमें आरोपी और पीडि़ता के घर वाले भी शामिल हैं.

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